मुश्किलों भरा अंतिम सफर, घुटनों तक पानी; कीचड़ के बीच निकाली गई शवयात्रा… अपनी बदहाली पर रो रहा ‘बीरमपुरा’

मध्य प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे नीमच जिले के सिंगोली तहसील का एक गांव आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. इस गांव के लोग आज भी नरकी जीवन जीने को मजबूर हैं. यहां के लोगों को जीतेजी तो कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है, मौत के बाद भी उनकी परेशानियां खत्म नहीं होतीं. मरने के बाद अंतिम यात्रा जिस रास्ते से होकर गुजरती है, वहां घुटनों तक कीचड़ तो कमर तक पानी से होकर जाना पड़ता है.
कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं, जब नदी में ज्यादा पानी और तेज बहाव होने पर अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को पानी उतरने का इंतजार करना पड़ता है. बावजूद इसके लोग शवयात्रा इसी रास्ते से ले जाने के लिए मजबूर हैं. श्मशान के रास्ते की दुर्दशा उन परिजनों का दुःख दर्द और बड़ा कर देती हैं, जिन परिवार में किसी अपने की मौत हुई है. इस हालत पर ग्रामीणों के साथ मृतक के परिजनों को अपने रिश्तेदारों के सामने शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती है.
कई बार की शिकायत, नहीं होती सुनवाई
ग्रामीणों का आरोप है कि इस संबंध में उनके द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया, बावजूद इसके कोई सुनवाई नहीं हुई. हालत आज भी पिछले कई सालों की तरह जस के तस बने हुए हैं. लोग इसी रास्ते से शव यात्रा ले जाने के लिए मजबूर हैं. यह तस्वीरें बीते रविवार की हैं, जब गांव के एक 55 वर्षीय व्यक्ति रणजीत पिता खुमा बंजारा की मौत हो गई. उनकी शवयात्रा इसी कीचड़ और पानी भरे रास्ते से होकर गुजरी.
पंचायत सचिव उमेश व्यास ने क्या कहा?
इस दौरान एक ग्रामीण युवक ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाया और हालात को बयां किया, जो अब सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. ग्राम पंचायत बधावा के पंचायत सचिव उमेश व्यास का कहना है कि इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. शीघ्र ही ग्रामीणों से चर्चा कर गांव में स्थित सरकारी जमीन पर मुक्तिधाम का निर्माण कराया जाएगा, ताकि इस तरह की परेशानी ग्रामीणों को न हो.