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दिल्ली में 10 हजार बस मार्शलों की स्थाई नियुक्ति पर बड़ा फैसला, CM आतिशी ने किया ऐलान

दिल्ली की आतिशी सरकार ने 10 हजार बस मार्शलों को स्थाई तौर पर नियुक्त करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. इस संबंध में सीएम आतिशी के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से बस मार्शलों को स्थाई तौर पर नियुक्त करने पर सहमति बनी. दिल्ली सरकार एलजी वीके सक्सेना से मार्शलों को स्थाई करने के लिए पॉलिसी बनाने की मांग करेगी.

शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के साथ पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीएम आतिशी ने बताया कि बस मार्शलों की स्थायी नियुक्ति का मुद्दा सर्विसेज के तहत केंद्र सरकार के अधीन है, जब तक केंद्र सरकार पॉलिसी नहीं बनाती है तब तक दिल्ली सरकार दस हजार मार्शलों को बसों में तैनात करेगी. दिल्ली सरकार के फैसले से ग़रीब परिवारों के युवाओं को रोज़गार मिलेगा और बसों में महिलाएं दोबारा सुरक्षित महसूस कर सकेंगी.

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अहम कदम

सीएम आतिशी ने कहा कि 2015 से जबसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, तब से दिल्ली की चुनी हुई सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. चाहे शहर में सीसीटीवी कैमरे लगवाना हो या बसों में मार्शलों की नियुक्ति हो. अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में दिल्ली सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम करती रही.

उन्होंने कहा कि दिल्ली की महिलाएं अच्छे से जानती हैं कि डीटीसी बसों में उनके लिए सफर करना कितना मुश्किल होता है. महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए डीटीसी बसों में बस मार्शलों को तैनात किया गया है. 2015 से डीटीसी बसों में 2 शिफ्टों में महिलाओं-बुजुर्गों-बच्चों की सुरक्षा को लेकर मार्शलों की नियुक्ति हुई. लेकिन 2023 से बस मार्शल की इस स्कीम में विघ्न डालने का काम किया गया.

मार्शल नहीं होने से महिलाएं असुरक्षित

उन्होंने आरोप लगाया कि पहले अप्रैल 2023 से बस मार्शलों का वेतन रोका गया और फिर अक्टूबर 2023 से सारे बस मार्शलों को नौकरी से हटा दिया. सीएम आतिशी ने कहा कि दिल्लीवालों के सामने और दिल्ली सरकार के सामने महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा अहम मुद्दा है. बस मार्शलों के बसों में न होने से महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रही हैं.

वहीं, मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा मे सर्वसम्मिति से बस मार्शलों की बहाली का प्रस्ताव पास हुआ था कि 3 अक्टूबर को आम आदमी पार्टी और भाजपा के सभी विधायक एलजी साहब के पास जाएंगे. दिल्ली का पूरा मंत्रिमंडल एलजी साहब के पास जाएगा. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 5 नवंबर तक प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ.

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