अपने विवादों को जन-उपयोगी स्थाई लोक अदालतों के माध्यम से निपटाएं : सीजेएम

हिसार (ब्यूरो): हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के निर्देशानुसार प्रदेश के सभी जिलों में न्यायिक परिसरों के भीतर स्थाई लोक अदालतों का गठन किया गया है। इन अदालतों का उद्देश्य आम जनता को त्वरित, सुलभ और नि:शुल्क न्याय प्रदान करना है, विशेषकर उन मामलों में जो जन-उपयोगी सेवाओं से संबंधित हैं। यह जानकारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अशोक कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार मित्तल के कुशल मार्गदर्शन में आयोजित होने वाली इन अदालतों में परिवहन, टेलीफोन, डाक सेवाएं, आवास एवं संपदा, जन स्वच्छता, अस्पताल, बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाएं, बीमा, विद्युत, जल आपूर्ति, शिक्षा आदि जैसी सेवाओं से जुड़े विवादों का निपटारा किया जाता है। इन सेवाओं से संबंधित कोई भी विवाद बिना किसी शुल्क के निपटाया जाता है। उन्होंने बताया कि स्थाई लोक अदालतों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एक करोड़ रुपये तक के विवादों का निपटारा किया जा सकता है। यहां दिए गए निर्णय को सिविल न्यायालय की डिक्री का दर्जा प्राप्त होता है और इस पर किसी भी प्रकार की अपील की अनुमति नहीं होती, जिससे विवादों का निपटारा शीघ्र और अंतिम रूप से हो जाता है। सचिव अशोक कुमार ने बताया कि इन अदालतों में मुकदमा दर्ज किए बिना भी विवादों का समाधान संभव है। इसे प्री-लिटिगेशन स्टेज कहा जाता है, जिसमें दोनों पक्षों के बीच आपसी सुलह-समझौते के आधार पर मामले का निपटारा किया जाता है। ऐसे मामले जो अब तक किसी भी न्यायालय में दायर नहीं किए गए हैं, उन्हें भी बिना किसी भेदभाव के हल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का आर्थिक बोझ पक्षकारों पर नहीं डाला जाता, जिससे गरीब और साधारण व्यक्ति भी न्याय पा सकते हैं।