सीने में दर्द और मिली पेट सफा की गोलियां… एक महीने खाने के बाद हुआ ये हाल
मध्य प्रदेश के उजैन में एक मेडिकल स्टोर संचालक मरीज को हार्ट की जगह पेट सफा करने वाली दवाई देता रहा. जब मरीज को कोई फायदा होते नहीं दिखा तो उसने डॉक्टर को दवा दिखाई, जिसे देख डॉक्टर भी हैरान रह गए. इतनी बड़ी लापरवाही की जानकारी लगते ही मरीज ने इस मामले की शिकायत जिला कलेक्टर से की. इसके बाद पाटीदार हॉस्पिटल में संचालित होने वाले मेडिकल स्टोर को सील कर दिया गया है.
मरीज डॉक्टर की सलाह परपिछले एक माह से हार्ट की दवाई ले रहा था. लेकिन डॉक्टर द्वारा बताए गए इलाज को पूरी तरह से लेने के बावजूद भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली. वह फिर डॉक्टर के पास पहुंचा, जहां मरीज को दी जा रही दवाई देखकर डॉक्टर खुद दंग रह गए. क्योंकि मरीज एक माह से जो दवाइयां खा रहा था वह हार्ट की नहीं बल्कि पेट साफ करने की थी. मामला जिले में चर्चा में बना हुआ है.
हार्ट की जगह दे दी पेट साफ की दवा
कलेक्टर कार्यालय में गन मेन संजीव सोलंकी के पिता गंगाराम सोलंकी की तबीयत खराब हुई थी. संजीव ने बताया कि उनके पिता का इलाज डॉ. राज शर्मा द्वारा किया जा रहा था. डॉक्टर ने उन्हें ठंड के इस मौसम में खुद का ध्यान रखने के साथ ही हार्ट से संबंधित एक दवाई लिखी थी. गंगाराम ने डॉक्टर द्वारा लिखी गई यह दवाई पाटीदार अस्पताल में संचालित होने वाले मेडिकल से खरीदी, जिसे वह पिछले एक माह से ले रहा था. लेकिन 27 नवंबर को जब गंगाराम अपने बेटे के साथ इलाज से कोई राहत न होने पर डॉक्टर से मिलने पहुंचे तो पता चला कि वह जो दवाई ले रहे थे वह हार्ट से संबंधित नहीं बल्कि पेट साफ करने की थी.
कलेक्टर से की शिकायत
इतनी बड़ी लापरवाही पर संजीव सोलंकी ने इस बात की शिकायत कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी के साथ ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन अधिकारियों से की. इसके बाद कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के निर्देश पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए. औषधि निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह कुशवाह ने बताया कि इस मामले में कार्रवाई करने के पहले मेडिकल संचालक को नोटिस जारी कर पूछा गया था कि इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई. लेकिन 24 घंटे में जब उनका कोई जवाब नहीं आया तो एक बार फिर नोटिस जारी किया गया.
मेडिकल स्टोर को किया सील
जब मेडिकल संचालक ने इस नोटिस का भी जवाब नहीं दिया तो प्रभारी सीएमएचओ डॉक्टर एस के सिंह, देशराज सिंह राजपूत और अन्य टीम पाटीदार हॉस्पिटल में संचालित हो रहे मेडिकल पहुंची. जहां पर मेडिकल को सील कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि मेडिकल सील करने के साथ ही लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई औषधि एवं प्रसारण सामग्री अधिनियम 1940 नियमावली 1945 के अंतर्गत की गई है. अस्पताल में संचालित होने वाले इस मेडिकल से ही पूरे अस्पताल में दवाइयां भेजी जाती हैं.
लेकिन मेडिकल संचालक जितेंद्र पाटीदार ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार पटेल के द्वारा जारी किए गए नोटिस का जवाब तक देना उचित नहीं समझा. जबकि इसे साफतौर पर मेडिकल स्टाफ की लापरवाही ही कहा जाएगा कि उन्होंने एक हार्ट के मरीज को पेट साफ करने की दवाई दे डाली.