हरियाणा

आपातकाल के दौरान 19 माह 10 दिन जेल में रहे थे चौधरी जंगबीर सिंह

जनता में आपातकाल को लेकर था भय

सोमवीर शर्मा
भिवानी,(ब्यूरो): जनता के हितों के लिए संघर्ष करना उनकी फितरत में शुमार रहा है। पहले सेना में रह कर देश सेवा की इसके बाद जनता की आवाज बन कर संघर्ष में जुट गए। ये शख्सियत हैं पूर्व सांसद जंगबीर सिंह। इन्होंने वर्ष 1967 और 1968 में विधानसभा चुनाव में तोशाम विधानसभा क्षेत्र से चौ. बंसीलाल जो हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे को खूब टक्कर दी। 1967के विधानसभा चुनाव में करीब पौने तीन सौ और 1968 के विधानसभा चुनाव में करीब पौने छह सौ वोटों के अंतर से वह हार गए थे। लेकिन उनकी आवाज थमी नहीं। दोनों ही चुनाव में उन्होंने चौधरी बंसीलाल को कड़ी टक्कर दी और मात्र कुछ सौ वोटों के अंतर से रह गए। लेकिन जनता के बीच हमेशा रहे। वर्ष 1991 में वह भिवानी से सांसद चुने गए।
आपातकाल के दौरान जंगबीर सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। वे 19 माह और 10 दिन हिसार जेल में रहे। जेल में भी उनको प्रताडऩा दी गई पर उन्होंने हार नहीं मानी। जगबीर सिंह बताते हैं कि जनसेवा का जज्बा उन्हें अपने दादा चौधरी मोहब्बत सिंह से मिला। चौधरी मोहब्बत सिंह लोहारू के नवाब के विरूद्ध हमेशा किसानों की आवाज उठाते रहते थे। उनके पिता चौधरी रघुवीर सिंह भी इलाके के मौजिज आदमी थे और हमेशा जन सेवा में तत्पर रहते थे। 1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान के विरूद्ध जंग में भी वे हिंदुस्तान की फौज के सिपाही के रूप में अग्रणी रहे। लगभग 7 साल फौज में सेवा करने के पश्चात उनके मन में अपने दादा के पद चिन्हों पर चलने का ख्याल आया।
पूर्व सांसद जंगबीर सिंह ने बताया कि वह कालेज जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि अचानक सुबह पुलिस खरकड़ी माखवान स्थित उनके घर पर पहुंच गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वहां से सीधे सदर थाना लाया गया और इसके बाद हिसार जेल भेज दिया। 19 माह और 10 की जेल के बाद उनको रिहा किया गया। पूर्व सांसद जंगबीर सिंह ने बताया कि हरियाणा बनने के बाद पहली बार वर्ष 1967 में चुनाव हुआ तो उन्होंने तोशाम विधानसभा से चौ. बंसीलाल के खिलाफ चुनाव लड़ा। पंडित भगवतदयाल शर्मा की सरकार बनी। यह सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई जिसके कारण 1968 में दौबारा चुनाव हुए। यह चुनाव भी उन्होंने तोशाम विधानसभा क्षेत्र से लड़ा। जंगबीर सिंह ने बताया कि आज भी जब आपातकाल की बातें याद आती हैं और जेल प्रवास का समय स्मरण हो आता है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि हिसार जेल में उनके साथ ओमप्रकाश चौटाला भी थे। जेल में अनेकों यातनाएं दी गई। हमें बीबीसी रेडियो और रेडियो नहीं सुनने दिया जाता था और न ही समाचार पत्र पढऩे दिया जाता था। जंगबीर सिंह ने बताया कि आपातकाल के दौरान जनता के मन में इस कदर भय बैठा हुआ था कि कोई भी सरकार के विरूद्ध आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता था। उन्होंने बताया कि जेल से वापस आने के बाद गांव के लोगों ने मुझे बताया कि सबके मन में मेरी सुरक्षा को लेकर बहुत अधिक भय था। पूरे तोशाम क्षेत्र में यह बात फैली हुई थी कि शायद जंगबीर सिंह वापस ही न आए। जंगबीर सिंह ने बताया कि वह भले ही चौधरी बंसीलाल से दो चुनाव मामूली अंतर से हार गए हों लेकिन वह हमेशा जनता के बीच रहे और 1991 में भिवानी लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए।

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