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चुनाव में जमानत तक नहीं बचा पाए चढ़ूनी…बस मिले इतने वोट

राजनीति में आने को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले ये हैं किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी जिनका हरियाणा विधानसभा चुनाव में ऐसा हश्र हुआ, जिसकी शायद उन्होंने कल्पना तक नहीं की होगी। दरअसल चढ़ूनी ने मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों पर तीखा हमला बोलते हुए हरियाणा के चुनावी समर में उतरने का ऐलान कर सियासी सरगर्मी को बढ़ा दिया था। उन्होंने सभी सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे और खुद कुरुक्षेत्र जिले की पिहोवा सीट से नामांकन दाखिल किया।

बता दें कि जब नतीजे आए तो न केवल उनकी पार्टी का सूपड़ा साफ हुआ बल्कि चढूनी खुद अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। वह महज 1170 वोट हासिल कर पांचवे नंबर पर रहे, जबकि पिहोवा प्रदेश के उन हलकों में शामिल है, जहां किसान आंदोलन का काफी प्रभाव देखने को मिला था। ये सीट 2019 में बीजेपी ने जीती थी, लेकिन इस बार कांग्रेस के मनदीप चट्ठा यहां से जीतने में कामयाब रहे। वहीं दूसरे नंबर पर भाजपा उम्मीदवार जय भगवान शर्मा रहे, दोनों के बीच मतों का अंतर 6 हजार 553 रहा।

गुरनाम सिंह चढूनी उन चर्चित किसान नेताओं में शामिल हैं, जिसने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन चलाया था। चढूनी संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम के सदस्य थे, जो 40 कृषि संघों का एक समूह है, जिसने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक लंबे किसान आंदोलन की अगुवाई की थी, जिन्हें अब रद्द कर दिया गया है। किसान नेता चढूनी ने साल 2021 में अपनी राजनीतिक पार्टी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ बनाई थी और कहा था कि उनका मकसद राजनीति को “शुद्ध” करना और अच्छे लोगों को आगे लाना है। इसके बाद उनकी पार्टी ने पहला इलेक्शन 2022 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव का लड़ा, जहां उसे कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद अब उन्हें हरियाणा में करारी शिकस्त मिली है।

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