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ईरान पर ट्रंप की सख्ती, चाबहार बंदरगाह भी निशाने पर! भारत पर पड़ेगा असरअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर सख्त रुख अपनाते हुए प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया है. इस नए कदम के तहत ईरान के रणनीतिक महत्व वाले चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट भी निशाने पर आ गया है. यह वही बंदरगाह है जिसे भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापारिक संपर्क के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. व्हाइट हाउस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ईरान और उससे जुड़े किसी भी आर्थिक या व्यापारिक गतिविधि में शामिल व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही ईरान को किसी भी प्रकार की आर्थिक राहत देने वाली प्रतिबंध छूटों को भी खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं. ट्रेजरी और अन्य अमेरिकी एजेंसियों के साथ समन्वय करते हुए ट्रंप प्रशासन ने ईरान के तेल निर्यात को पूरी तरह से बंद करने के लिए एक व्यापक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान का लक्ष्य ईरान के राजस्व के प्रमुख स्रोत को समाप्त करना है. खासतौर पर चीन को ईरानी कच्चे तेल के निर्यात पर रोक लगाने की योजना भी बनाई गई है. चाबहार पर अनिश्चितता के बादल चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट, जिसमें भारत की अहम भागीदारी है, इस प्रतिबंध की चपेट में आ सकता है. भारत ने इस बंदरगाह के विकास में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक व्यापारिक मार्ग को आसान बनाना है. ट्रंप प्रशासन के नए कदम से चाबहार परियोजना पर अनिश्चितता का माहौल बन गया है। ईरान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की योजना ट्रंप प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों के जरिए ईरान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की भी योजना बनाई है. इसके तहत ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) और अन्य आतंकवादी संगठनों को सुरक्षित आश्रय और स्वतंत्र आवाजाही से वंचित करने के लिए कूटनीतिक अभियान चलाया जाएगा. भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है. भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी. यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है. भारत ने ईरान से लीज पर लिया है चाबहार बंदरगाह, 10 साल के लिए समझौता ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है।.इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी। चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है। चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ? भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है. चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है. भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है. अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है. वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है. क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है. ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है. क्या चाबहार परियोजना बंद होने की कगार पर है? विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन के इस कदम से भारत की महत्वाकांक्षी योजना को बड़ा झटका लग सकता है. वहीं, अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर भी प्रभाव पड़ सकता है. व्हाइट हाउस ने ईरान पर प्रतिबंधों को लेकर सख्त रुख अपनाया अमेरिकी सरकार ने ईरान और उसके आतंकवादी सहयोगियों पर प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, व्हाइट हाउस ने विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों जैसे जहाजरानी, बीमा और बंदरगाह संचालन से जुड़े उद्योगों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि वे जानबूझकर ईरान से जुड़े प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हैं, तो उन्हें गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है. प्रतिबंधों को प्रभावी बनाने के निर्देश व्हाइट हाउस ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) में ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों की सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नए कदम उठाने की बात कही है. इसमें वित्तीय संस्थानों को यह निर्देश दिया गया है कि वे ईरान से संबंधित लेन-देन में “अपने ग्राहक के ग्राहक को जानें” (Know Your Customer’s Customer) मानक अपनाने पर विचार करें ताकि प्रतिबंधों के उल्लंघन की संभावना को कम किया जा सके. व्हाइट हाउस ने विदेश मंत्री को निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं- प्रतिबंध छूटों का पुनर्मूल्यांकन विशेष रूप से ईरान के चाबहार बंदरगाह परियोजना से संबंधित छूटों सहित सभी प्रकार की प्रतिबंध छूटों में संशोधन या उन्हें समाप्त करने के आदेश दिए गए हैं। तेल निर्यात को शून्य करने का अभियान अमेरिकी वित्त विभाग और अन्य एजेंसियों के सहयोग से ईरान के तेल निर्यात को पूरी तरह बंद करने का सख्त अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें चीन को ईरानी कच्चे तेल के निर्यात को भी रोकने की बात कही गई है. वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक अभियान अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ईरान को अलग-थलग करने का निर्देश दिया गया है। इसके तहत ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) या उसके किसी भी आतंकवादी एजेंट को स्वतंत्र आवाजाही या सुरक्षित आश्रय प्रदान करने से रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। आधुनिक सुरक्षा उपायों पर जोर व्हाइट हाउस ने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि प्रतिबंधों के जरिए ईरान के अवैध राजस्व स्रोतों को पूरी तरह बंद किया जाए। उभरती तकनीकों और वित्तीय मानकों का उपयोग करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ईरान को किसी भी प्रकार की वित्तीय राहत न मिले। ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शक है कि ईरान उनकी हत्या कराना चाहता है. लेकिन इसके साथ ही ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा हुआ तो ईरान को पूरी तरह तबाह कर दिया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि ईरान के चरमपंथी संगठन आईआरजीसी (इस्लामिक रेवोलेशन गार्ड कोर) के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए ईरान ने कई बार डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश रची. ट्रंप ने अपने सलाहकारों से इस बात की घोषणा करते हुए टिप्पणी की है. वहीं ईरान ने ट्रंप की ताजा टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन कुछ दिनों पहले ईरानी राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने ये जरूर कहा था कि ईरान, ट्रंप को कभी नहीं मारना चाहता. ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने संबंधी शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करने के दौरान ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, अगर ईरान ने उनकी हत्या की तो उसे तबाह कर दिया जाएगा. मैंने सलाहकारों को निर्देश दिए हैं कि अगर वो ऐसा करते हैं, तो उन्हें तबाह कर दिया जाए, जिसके बाद कुछ भी नहीं बचेगा.
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