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ऊर्जा प्रदेश की राह में तेजी से आगे बढ़ रहा उत्तराखंड, अब पूरा करना है 24 घंटे बिजली की आपूर्ति का लक्ष्य

देहरादून:ऊर्जा प्रदेश की राह में उत्तराखंड तेजी से आगे बढ़ रहा है। बीते 10 वर्ष में प्रदेश उत्पादन, पारेषण और आपूर्ति तीनों मोर्चों पर ‘ऊर्जा’ बढ़ी है। सरकार ने पारेषण तंत्र को मजबूत करने के साथ ही लगभग डेढ़ गुना विस्तार किया। साथ ही कई जल विद्युत परियोजनाओं की सौगात भी प्रदेश को मिली, जिससे विद्युत उत्पादन में खासा इजाफा हुआ।

इसके अलावा विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भी कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं। घर-घर विद्युतीकरण हुआ और निर्बाध विद्युत आपूर्ति की परिकल्पना की ओर भी कदम आगे बढ़े। केंद्र सरकार के सहयोग से हो रहे कार्य उत्तराखंड को वास्तविक ऊर्जा प्रदेश बनाने की राह में अग्रसर हैं। हालांकि, सस्ती और निर्बाध बिजली के लिए अब भी व्यापक स्तर पर सुधार किए जाने की आवश्यकता है।

24 घंटे बिजली की आपूर्ति का लक्ष्य

राज्य में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के आदेश हैं। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में फाल्ट आने पर ही विद्युत आपूर्ति बाधित होती है। यह स्थिति तब है, जबकि राज्य को 70 प्रतिशत बिजली खरीदनी पड़ती है। ऐसे में राज्य विद्युत उत्पादन पर अधिक ध्यान दे रहा है। लाइन लास को भी पिछले कुछ वर्षों में कम किया गया है। वर्तमान में राज्य में 15 प्रतिशत लाइन लास है। हालांकि यह प्रतिशत अधिक है, लेकिन इसमें हर साल सुधार हो रहा है। विद्युत दरों के मामले में उत्तराखंड की स्थिति उत्तर प्रदेश, हरियाणा की तुलना में अधिक बेहतर है, लेकिन हिमाचल की तुलना में उत्तराखंड में विद्युत दरें मामूली अधिक हैं।

हर घर बिजली, आपूर्ति व्यवस्था में भी सुधार

ऊर्जा निगम ने केंद्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में घर-घर बिजली पहुंचाने और फाल्ट की समस्या के निस्तारण के लिए ठोस पहल की। ऊर्जा निगम का दावा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को 99 प्रतिशत विद्युतीकृत कर दिया गया है। हालांकि पहाड़ों के कुछ दुर्गम क्षेत्रों तक बिजली पहुंचना बाकी है।

साथ ही प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत संवेदनशील जनजातीय क्षेत्रों में भी 96 प्रतिशत घर रोशन कर दिए गए हैं। वर्ष दर वर्ष लाइन लास कम किया जा रहा है। केंद्र सरकार के सहयोग से जल्द ही देहरादून की सड़कों से तारों के जाल हटाकर भूमिगत करने की योजना भी है।

प्रदेशभर में 16 लाख स्मार्ट मीटर लगाने की दिशा में कदम आगे बढ़ रहे हैं। पीएम सूर्यघर योजना के तहत सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का कार्य भी शुरू हो चुका है।

ऊर्जा निगम के महत्वपूर्ण कार्य और उपलब्धि

  • उपभोक्ता सेवा रेटिंग में उत्तराखंड ऊर्जा निगम हिमालयी राज्यों में मणिपुर के साथ संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर।
  • देहरादून व हल्द्वानी स्थित विद्युत उपकरण टेस्ट प्रयोगशाला को केंद्र से किया गया प्रमाणित।
  • विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं के निस्तारण व आवेदन के लिए ऊर्जा निगम का मोबाइल एप लांच। विभिन्न आनलाइन माध्यमों से बिल भुगतान की सुविधा भी शुरू।
  • बिजली घरों का उच्चीकरण व नए बिजली घरों का निर्माण। जिसमें 10 एमवीए क्षमता के एक नए 33/11 केवी उपसंस्थन और 3.39 किमी नई 33 केवी लाइनों का निर्माण कार्य भी शामिल।

पारेषण तंत्र के विस्तार से विद्युत वितरण व्यवस्था हुई मजबूत

पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन आफ उत्तराखंड ने बीते 10 पारेषण तंत्र का व्यापक विस्तार किया है। प्रदेश में पिटकुल के 37 उपकेंद्रों (कुल 6417 एमवीए व 2981 सर्किट किमी पारेषण लाइनों) के सापेक्ष 50 उपकेंद्र (कुल 9137.5 एमवीए व 3456.7 सर्किट किमी पारेषण लाइनों) से पारेषण तंत्र संचालित हो रहा है। इस दौरान पारेषण हानियां भी 1.85 प्रतिशत से घटकर 0.97 प्रतिशत तक कम हो गई हैं। रुद्रपुर व लालकुआं रेलवे ट्रैक्शन सबस्टेशन के लिए विद्युतीकरण कार्य पूर्ण किया, जिससे औद्योगिक आवागमन सुगम व कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। 132 केवी पिथौरागढ़ चंपावत लाइन के निर्माण के लिए पिटकुल ने रिकार्ड सर्वाधिक 1274 मीटर लंबाई का स्पान विशेष कंडक्टर उपयोग कर सरयू नदी को पार किया गया। जनपद चंपावत में लो वोल्टेज एवं ट्रिपिंग की समस्या से राहत मिली।

पिटकुल के महत्वपूर्ण परियोजनाएं

  • प्रदेश में भविष्य में विद्युत मांग में वृद्धि एवं निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं व सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की निकासी के लिए कुल 10 परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिनमें से पारेषण तंत्र के सुदृढ़ीकरण के लिए 220 केवी उपसंस्थान सेलाकुई, मंगलौर व 132 केवी उपसंस्थान आराघर देहरादून, खटीमा, धौलाखेडा व लोहाघाट के निर्माण को लेकर कार्रवाई शुरू हो चुकी है।
  • पिटकुल को आरईसी की ओर से ए प्लस की क्रेडिट रेटिंग दी गई है, जिसके फलस्वरूप पिटकुल को ऋण में 0.25 फीसद की छूट मिलेगी, जिसका सीधा लाभ विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत टैरिफ में प्राप्त हो रहा है।

व्यासी परियोजना की मिली सौगात, लखवाड़ पर आगे बढ़े कदम

उत्तराखंड जलविद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। वर्तमान में यूजेवीएन लिमिटेड के अंतर्गत 1420.60 मेवा की जल विद्युत परियोजनाएं परिचालन में हैं। जिनसे लगभग 5433.20 मिलियन यूनिट का उत्पादन किया गया जा रहा है। बीते कुछ वर्षाें में कई लघु परियोजनाओं के साथ ही 120 मेगावाट की व्यासी परियोजना भी पूर्ण हुई और उत्पादन शुरू किया गया। साथ ही लखवाड़ परियोजना पर भी कार्य शुरू हुआ। जो कि आने वाले समय में छह राज्यों को पानी और प्रदेश को बिजली प्रदान करेगा।

यूजेवीएनएल के महत्वपूर्ण कार्य

  • जनपद पौडी में स्थित 3.0 मेगावाट की दुनाऊ लघु जल विद्युत परियोजना शुरू।
  • जनपद चमोली में स्थित 3.0 मेगावाट की उरगम लघु जल विद्युत परियोजना शुरू।
  • जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित 4.0 मेगावाट की कालीगंगा-प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना शुरू।
  • जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित 4.5 मेगावाट की कालीगंगा-द्वितीय लघु जल विद्युत परियोजना शुरू।
  • जनपद पिथौरागढ़ में स्थित 5.0 मेगावाट की सुरिनगाड़-द्वितीय लघु जल विद्युत परियोजना शुरू।
  • जनपद देहरादून में स्थित 120 मेगावाट की व्यासी जल विद्युत परियोजना शुरू।
  • जनपद देहरादून में स्थित 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण शुरू।
  • 660 मेगावाट की किसाऊ परियोजना के निर्माण को 50-50 प्रतिशत उत्तराखंड सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार की सहभागिता कंपनी गठित।
  • यूजेवीएन लिमिटेड व टीएचडीसी का संयुक्त उपक्रम बनाकर पांच परियोजनाएं, जिनमें तीन जल विद्युत परियोजनाएं कुल क्षमता 489 मेगावाट व दो पंप स्टोरेज परियोजनाएं कुल क्षमता 1230 मेगावाट पर कार्य शुरू करने की तैयारी।

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