शरद पूर्णिमा पर टूटी बांके बिहारी की परंपरा, भक्तों को नहीं मिले श्रृंगार आरती के दर्शन; गोस्वामी नाराज

मथुरा के वृंदावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की सालों पुरानी परंपरा एक बार फिर टूट गई. शरद पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित विशेष श्रृंगार आरती के दौरान हजारों भक्त ठाकुर जी के दर्शन से वंचित रह गए. जानकारी के अनुसार, गर्भगृह के सामने स्थित जगमोहन में ठाकुर बांके बिहारी का सिंहासन लगाए जाने के कारण भक्तों को श्रृंगार आरती के दर्शन नहीं हो सके. इसी वजह से ठाकुर जी के दर्शन करीब 45 मिनट की देरी से शुरू हुए.
इस घटना को लेकर गोस्वामी समाज ने अपनी नाराजगी जताई है. उनका आरोप है कि मंदिर की हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी को पहले ही संभावित स्थिति की जानकारी दे दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद उसने मनमाने ढंग से फैसला लागू किया. गोस्वामी समाज ने कहा कि 2023 में भी इसी तरह परंपरा के साथ खिलवाड़ किया गया था, जिस पर उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई थी. इस बार उनके सुझावों को नजरअंदाज कर दिया गया.
भक्तों को नहीं हुए दर्शन
सेवायत हिमांशु गोस्वामी के मुताबिक, शरद पूर्णिमा पर ठाकुर जी की विशेष श्रृंगार आरती होती है, जिसमें दूर-दूर से भक्त वृंदावन पहुंचते हैं. परंपरा के अनुसार, ठाकुर जी सुबह और शाम जगमोहन में श्वेत वस्त्रों, मोर मुकुट, कट कछनी और बंसी धारण कर भक्तों को दर्शन देते हैं, लेकिन इस बार गर्भगृह के सामने ही सिंहासन लगाने के कारण भक्त श्रृंगार आरती के दर्शन नहीं कर पाए.
प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष ने क्या कहा?
इस बीच मंदिर प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार भक्तों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर व्यवस्था की जा रही है. आपको बता दें कि बांके बिहारी मंदिर हर साल शरद पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में भक्त विशेष श्रृंगार आरती देखने के लिए पहुंचते है, लेकिन सोमवार सुबह बिहारी जी का सिंहासन लगाए जाने के कारण हजारों भक्त दर्शन से वंचित रह गए. इस घटना को लेकर भक्तों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.




