पाकिस्तान में शिया-सुन्नी के बीच खूनी संघर्ष, दशकों पुराने विवाद की वजह जमीन या धर्म?
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में जमीन के एक टुकड़े को लेकर दो कबीलों के बीच का विवाद अब खूनी हो गया है. खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में करीब एक हफ्ते से जारी इस संघर्ष में अब तक 49 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 180 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं.
द न्यूज के मुताबिक संघर्ष की शुरुआत बोशेरा से हुई और बाद में यह पीवर, टांगी, बलिशखेल, खार किल्ले, मकबल, कुंज अलीजई और पारा चमकानी इलाके में भी फैल गया. जानकारी के मुताबिक बीते बुधवार इस जमीन विवाद को लेकर एक शख्स ने गोली चलाई जिसके बाद यह संघर्ष भीषण होता गया.
शिया और सुन्नी कबीले के बीच लड़ाई
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक अफ़गानिस्तान की सीमा से लगे आदिवासी क्षेत्र अपर कुर्रम में सुन्नी और शिया कबीलों के बीच कई दिनों से संघर्ष चल रहा है. दोनों की ओर से मोर्टार और रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड सहित भारी हथियारों का इस्तेमाल किया गया. जिसके चलते इस संघर्ष में अब तक 49 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
ताजा जानकारी के अनुसार कुछ क्षेत्रों में संघर्ष विराम हो गया है और कुछ जगहों पर शांति स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इलाके में पुलिस और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है.
30 एकड़ जमीन के लिए खूनी संघर्ष
करीब 30 एकड़ जमीन को लेकर पाकिस्तान के शिया और सुन्नी कबीलों के बीच का विवाद एक दशक पुराना है. इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर कुर्रम जिले के बुशेहरा गांव के दो कबीले गुलाब मिल्ली खेल (शिया समुदाय) और मदगी कले (सुन्नी समुदाय) कई वर्षों से संघर्षरत हैं. इलाके में अक्सर इस जमीन विवाद को लेकर तनाव का माहौल रहता है.
इलाके के कबायली परिषद (जिरगा) के सदस्यों ने इस विवाद को सुलझाने की कोशिश भी की थी, पिछले साल भी इस जमीन को लेकर तनाव बढ़ा था लेकिन इसके बाद समझौता करा दिया गया. करीब एक साल बाद एक बार फिर इस जमीन को लेकर विवाद शुरू हो गया है.
जिरगा सदस्यों ने कराया समझौता
कुर्रम जिले के डिप्टी कमिश्नर जावेदउल्लाह महसूद ने पूरे विवाद को लेकर कहा है कि जिरगा के सदस्यों ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर कुर्रम में दोनों कबीलों के साथ बातचीत की और उन्हें संघर्ष विराम के लिए राजी कर लिया. उन्होंने बताया है कि वे बोशेरा क्षेत्र में संघर्ष विराम कराने में सफल रहे और बालिशखेल और खार कल्ले क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है.
करीब एक दशक पुराना है विवाद
पिछले साल हुए समझौते में तय किया गया था कि राजस्व विभाग के दस्तावेजों के आधार पर इस जमीन विवाद का निपटारा किया जाएगा, जिसे दोनों पक्षों को मानना होगा. कबायली परिषद (जिरगा) के सदस्यों ने दस्तावेजों के आधार पर फैसला किया कि विवादित जमीन गुलाब मिल्ली खेल (शिया समुदाय) कबीले की है.
हालांकि इस जमीन का सीधा स्वामित्व इस कबीले को नहीं दिया गया बल्कि तय किया गया कि एक तीसरा पक्ष इस जमीन का इस्तेमाल करेगा और इसके एवज में एक तय रकम गुलाब मिल्ली खेल कबीले को देगा. इसके अलावा समझौते में यह भी कहा गया कि एक साल बाद गुलाब मिल्ली खेल कबीले को तय करना होगा कि वह जमीन को दोबारा ठेके में देना चाहता है या फिर इसका इस्तेमाल खुद करेगा.
दो कबीलों की लड़ाई सांप्रदायिक हुई
एक साल पूरा होने के बाद गुलाब मिल्ली खेल कबीले ने जब इस जमीन पर मालिकाना हक जताने की कोशिश की तो इसी बात को लेकर दूसरे पक्ष के साथ एक बार फिर तनाव शुरू हो गया. दो कबीलों के बीच जमीन के टुकड़े को लेकर शुरू हुआ ये विवाद अब सांप्रदायिक झगड़े में तब्दील हो चुका है. इलाके के लोगों का कहना है कि जब ये लड़ाई होती है तो ऐसा लगता है कि मानो दो देशों के बीच जंग चल रही हो.
वहीं इस ताजा विवाद के चलते पाराचिनार-पेशावर मार्ग में बीते करीब एक हफ्ते से यातायात बंद है, जिसकी वजह से कुर्रम इलाके में खाद्य पदार्थों और दवाइयों की किल्लत होनी शुरू हो गई है.
पाकिस्तान में शिया और सुन्नी आबादी
साल 2009 की pew रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में शिया कुल आबादी का करीब 15 फीसदी है. वहीं 96 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले इस मुल्क में करीब 80 फीसदी सुन्नी आबादी है. पाकिस्तान में अक्सर कई मौकों पर शिया और सुन्नी समुदायों के बीच तनाव देखने को मिलता रहा है, मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक 2001 से अब तक पाकिस्तान में कई हमलों और टारगेट किलिंग में 2500 से ज्यादा शिया मारे जा चुके हैं.