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उपचुनाव: रामपुर फॉर्मूले से मुस्लिम बहुल सीटों पर कमल खिलाने का बीजेपी प्लान?

उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. सूबे की जिन 9 सीटों पर पर उपचुनाव चल रहे हैं, उसमें चार सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं. मुस्लिम बहुल सीट होने के चलते उन पर बीजेपी के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है. बीजेपी के लिए यही स्थिति रामपुर में भी थी, जहां 55 फीसदी वोटर मुस्लिम थे. बीजेपी ने रामपुर सीट पर पहली बार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया था और अब उसी फॉर्मूले पर मुस्लिम बहुल सीटों पर ‘कमल’ खिलाने की स्ट्रैटेजी दिख रही है.

यूपी की जिन 9 सीटों पर चुनाव हैं, उसमें कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, करहल, सीसामऊ, कटेहरी, मझवां और फूलपुर विधानसभा सीट शामिल हैं. 2022 के चुनावी लिहाज से देखें तो चार सीटें सपा ने जीती थीं, तो बीजेपी ने तीन सीट पर कब्जा जमाया था. इसके अलावा आरएलडी और निषाद पार्टी एक-एक सीट जीती थीं. इन 9 सीटों में से मीरापुर, कटेहरी, कुंदरकी, सीसामऊ और फूलपुर मुस्लिम बहुल सीट मानी जाती हैं. इनमें से सिर्फ फूलपुर ही बीजेपी 2022 में जीत सकी थी, जबकि तीन सीट पर सपा गठबंधन ने जीती थी.

उपचुनाव के नतीजे से सत्ता के खेल बनने और बिगड़ने का खतरा नहीं है, लेकिन यूपी के सियासी भविष्य का फैसला जरूर हो जाएगा. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जिस तरह से सियासी झटका यूपी में लगा था, उसके चलते बीजेपी उपचुनाव की 9 में से 7-8 सीटें जीतने का सपना संजोय हुए है. बीजेपी के लक्ष्य में सबसे बड़ी दिक्कत मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत दर्ज करने की है क्योंकि कुंदरकी में 62 फीसदी मुस्लिम हैं, तो मीरापुर सीट पर 45 फीसदी, सीसामऊ में 50 फीसदी और फूलपुर सीट पर 30 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. इसके अलावा गाजियाबाद में 45 हजार और कटेहरी में 55 हजार के करीब मुस्लिम वोटर हैं.

बीजेपी ने क्या बनाया था फॉर्मूला?

मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी ने रामपुर फॉर्मूले से जीत दर्ज करने का ताना बाना बुना था. 2022 में रामपुर से सपा विधायक आजम खान को एक केस में दो साल से ज्यादा की सजा होने से उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी. रामपुर विधानसभा सीट पर 55 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. ऐसे में यह सीट जीतना बीजेपी के लिए आसान नहीं था.

बीजेपी ने रामपुर उपचुनाव में आकाश सक्सेना को उतारा था. बीजेपी ने अपने वोटर को बूथ तक और विपक्ष के वोटों को वोटिंग से दूर रखने का दांव चला था. सपा ने आरोप लगाया था कि रामपुर में मुस्लिम बस्तियों के बाहर पुलिस का पहरा लगाकर उन्हें मतदान नहीं करने दिया गया, जिसके बदौलत ही बीजेपी रामपुर सीट जीत सकी थी. इसके बाद से उपचुनाव का ‘रामपुर फॉर्मूला’ चर्चा में आया.

सपा ने क्या लगाए आरोप?

कुंदरकी विधानसभा सीट पर सपा के प्रत्याशी हाजी रिजवान ने आरोप लगाया कि पूरे क्षेत्र में पुलिस प्रशासन ने मुस्लिम बस्तियों के बाहर बैरिकेडिंग लगा रखी है ताकि मुस्लिम वोटर बूथ पर न जा सके. इतना ही नहीं, रिजवान ने आरोप लगाया कि ढाई सौ बूथ पर सपा के एजेंट ही नहीं बनने दिए गए. पुलिस के द्वारा आईडी कार्ड पर चेक करने पर पुलिस के साथ हाजी रिजवान की नोकझोंक हुई है. सीसामऊ में भी मुस्लिम बस्तियों के बाहर नाकेबंदी कर रखी है, तो कटेहरी में सपा ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम मतदाताओं को बूथ तक आने ही नहीं दिया जा रहा है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि बुर्के में आने वाली मुस्लिम महिलाओं को पुलिस ही नहीं बल्कि पोलिंग एजेंट ही चेक करें. इसके अलावा सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने लगातार निर्वाचन आयोग से शिकायत की है कि सपा के मतदाताओं को वोटिंग करने से रोका जा रहा है. सपा ने जिन सीटों पर शिकायत की है, उसमें सीसामऊ, मीरापुर, कुंदरकी और कटेहरी सीट हैं. इन चारों ही सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं.

बीजेपी गठबंधन के लिए जीतना कितना मुश्किल?

कुंदरकी सीट पर सपा से चुनाव लड़ रहे हाजी रिजवान ने तो यहां तक आरोप लगा दिया है कि उन्हीं मतदाताओं को पुलिस बूथ तक आने दे रही है, जिन्हें बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ठाकुर के द्वारा लाल पर्ची दी गई है. इसके जरिए वह बताना चाह रहे हैं कि बीजेपी के मतदाताओं को ही बूथ तक आने दिया जा रहा है और सपा के वोटरों को बूथ तक नहीं जाने दिया गया. पुलिस की बैरिकेडिंग हटवाते हुए हाजी रिजवान का वीडियो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर उपचुनाव वोटिंग पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

मुस्लिम बहुल सीट होने के चलते कुंदरकी, सीसामऊ, कटेहरी और मीरापुर सीट पर जीतना बीजेपी गठबंधन के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है. ऐसे में बीजेपी इस बात को जानती है कि महज हिंदू वोटों के बदौलत जीत दर्ज नहीं की जा सकती है इसलिए मुस्लिमों के एक तबके को अपने साथ जोड़ने का दांव चला, तो सपा के समर्थन वाले बूथों पर कम वोटिंग कराने का आरोप लगाया जा रहा है. मुस्लिम वोटिंग पैटर्न को लेकर माना जाता है कि मुसलमान सिर्फ बीजेपी को हराने के लिए वोट करते हैं. 2022 के चुनाव में यही पैटर्न रहा था और बसपा से लेकर ओवैसी तक के मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों को नकार दिया था. सपा के पक्ष में एकमुश्त वोट डाले थे और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही पैटर्न रहा था.

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