इस व्रत कथा के पाठ से जीवन के सभी विघ्न दूर करेंगे बप्पा!

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा करना अनिवार्य माना जाता है. हर महीने की चतुर्थी तिथि को गणेशजी की आराधना की जाती है. विशेष रूप से आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन व्रत करना और व्रत कथा का पाठ करना अत्यंत पुण्यकारी होता है. मान्यता है कि इससे व्यक्ति के जीवन के सभी विघ्न और कठिनाइयां दूर होती हैं.
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
पुराणों के अनुसार, बाणासुर की पुत्री उषा ने एक रात अपने स्वप्न में अनिरुद्धको देखा. अनिरुद्ध से दूर होने का दुःख उसे इतना सताने लगा कि उसका मन शांति के लिए बेचैन हो गया. उसने अपनी सहेली चित्रलेखा से अनुरोध किया कि वह त्रिभुवन में रहने वाले सभी व्यक्तियों की तस्वीरें बनवाए. जब चित्रलेखा ने अनिरुद्ध की पहचान की, तो उषा ने उसे तुरंत खोज निकालने की आज्ञा दी, अन्यथा वह अपने प्राण त्याग देगी.
चित्रलेखा, जो राक्षसी माया में निपुण थी, द्वारकापुरी पहुंची और रात के समय अनिरुद्ध का अपहरण कर बाणासुर की नगरी ले आई. इस घटना से प्रद्युम्न, अनिरुद्ध का पिता, गहरे शोक में डूब गए और उन्हें असाध्य रोग का सामना करना पड़ा. रुक्मिणी जी भी दुःखी होकर कृष्णजी से प्रार्थना करने लगीं.
श्रीकृष्ण जी ने इस स्थिति का समाधान जानने के लिए लोमश ऋषि से मार्गदर्शन लिया. ऋषि ने बताया कि अनिरुद्ध का अपहरण उषा की सहेली चित्रलेखा ने किया है और वह बाणासुर के महल में सुरक्षित रखा गया है. लोमश ऋषि ने श्रीकृष्ण जी को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का व्रत करने की सलाह दी.
श्रीकृष्ण जी ने व्रत का पालन किया और इसके प्रभाव से बाणासुर को परास्त किया. बाणासुर की सहस्त्र भुजाओं को काटने में व्रत की महिमा का विशेष योगदान माना गया. कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत सभी विपत्तियों और कठिनाइयों का नाश करता है. इसलिए, इस चतुर्थी पर विधिपूर्वक गणेश पूजन और व्रत कथा का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर हो जाती हैं और सुख-शांति का आगमन होता है.
कैसे करें व्रत का पालन:
- दिन चुनें: कृष्ण पक्ष की चतुर्थी.
- स्नान: शुद्ध जल से स्नान करें.
- पूजा सामग्री: गणेश प्रतिमा, दूर्वा, मोदक, दीपक और अक्षत चावल.
- कथा पाठ: संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें.
- प्रसाद: व्रत के बाद मोदक या फल का प्रसाद ग्रहण करें.
- संकल्प: विघ्न निवारण और जीवन की समृद्धि के लिए भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगें.
हर संकष्टी चतुर्थी को चंद्रमा की दृष्टि से व्रत का फल बढ़ता है. व्रती को कथा सुनते समय मन को शांत रखना चाहिए और पूरी श्रद्धा से भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए.