अगर गलती से टूट जाए योगिनी एकादशी का व्रत, ये सरल उपाय आएंगे आपके काम!

आज योगिनी एकादशी का व्रत है. एकादशी का व्रत बहुत पवित्र और नियमों से भरा होता है, इसलिए अगर गलती से यह टूट जाए तो मन में संशय और दुख आना स्वाभाविक है. हालांकि, शास्त्रों में ऐसी स्थितियों के लिए प्रायश्चित के कुछ सरल उपाय बताए गए हैं, जिनसे व्रत का पूर्ण फल मिल सकता है या उसके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है. जैसे ही आपको पता चले कि आपका व्रत टूट गया है, तो तुरंत भगवान विष्णु (या अपने इष्टदेव) के समक्ष हाथ जोड़कर क्षमा याचना करें. सच्चे मन से अपनी भूल स्वीकार करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपकी मजबूरी या अनजाने में हुई गलती को क्षमा करें.
अगर गलती से आपका व्रत टूट गया है तो स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें तुलसी दल अर्पित करें. स्वयं भी एक या दो तुलसी दल ग्रहण करें. तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इसे ग्रहण करने से पापों का शमन होता है. तुलसी के पत्ते एकादशी पर तोड़े नहीं जाते, इसलिए यदि पहले से रखे हों तो उनका प्रयोग करें.
करें ये खास उपाय
- भगवान विष्णु के द्वादशाक्षर मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का यथाशक्ति जाप करें. रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 माला जाप करने का प्रयास करें. यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली है और भगवान विष्णु को शीघ्र प्रसन्न करता है. आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं.
- अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करें. गाय को हरा चारा या आटे की लोई खिलाएं. किसी ब्राह्मण, गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को भोजन, पीले वस्त्र, फल, मिठाई, चने की दाल या हल्दी का दान करें. दान करने से पापों का शमन होता है.
- यदि यह संभव हो तो, आप अगले साल आने वाली योगिनी एकादशी का व्रत पूरी निष्ठा से करने का संकल्प ले सकते हैं. कुछ मान्यताओं के अनुसार, यदि एकादशी का व्रत खंडित हो जाता है, तो आप अगले साल आने वाली निर्जला एकादशी (जो ज्येष्ठ मास में आती है और वर्ष की सभी एकादशियों का फल देती है. का व्रत करने का संकल्प ले सकते हैं. यह प्रायश्चित का एक बड़ा माध्यम माना जाता है.
- भले ही आपका व्रत टूट गया हो, दिनभर सात्विक आहार (बिना प्याज, लहसुन, मांस, अनाज) का सेवन करें. मन को शुद्ध रखें. किसी की निंदा न करें, क्रोध न करें और बुरे विचारों से दूर रहें.
व्रत टूटने पर करना होगा पारण
यदि आपने दिन में कुछ खा लिया था, लेकिन अब आप व्रत जारी नहीं रख सकते, तो भी अगले दिन (द्वादशी तिथि पर) सही समय पर पारण करें. पारण से पहले भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें भोग लगाएं और फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण कर सात्विक भोजन से व्रत खोलें. भगवान भाव के भूखे होते हैं. अगर व्रत अनजाने में या किसी मजबूरी में टूटा है, और आपका मन शुद्ध है तथा आप प्रायश्चित करना चाहते हैं, तो भगवान निश्चित रूप से आपको क्षमा करेंगे और आपकी भक्ति को स्वीकार करेंगे.