बारिश के मौसम में शिशुओं को नहीं होगी त्वचा की समस्या, एक्सपर्ट के बताए ये टिप्स कर लें फॉलो
मानसून का मौसम गर्मी से तो राहत देता है, लेकिन साथ ही यह कई तरह की समस्याएं भी लेकर आता है. ऐसे मौसम में नवजात शिशुओं की नाजुक त्वचा पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. मानसून के दौरान नवजात शिशुओं की स्किन में होने वाले रैशज, संक्रमण और जलन को उचित देखभाल से रोका जा सकता है.
नारायणा हेल्थ एस.आर.सी.सी चिल्ड्रन हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहल शाह का कहना है बरसात के मौसम में जितना ख्याल हम खुद की स्किन का रखते हैं, उतना ही ध्यान बच्चों की त्वचा का भी रखना चाहिए. छोटे बच्चों की स्किन बड़ों की त्वचा के मुकाबले ज्यादा नाजुक होती है. ऐसे में उनकी स्किन में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. आइए एक्सपर्ट से जानते हैं किमानसून के मौसम में अपने नवजात शिशु की त्वचा का ख्याल रख सकते हैं.
साफ-सफाई बनाए रखें
स्वच्छता सबसे जरूरी है. अपने बच्चे को रोज़ाना गुनगुने पानी और हल्के, बिना खुशबू वाले बेबी सोप से नहलाएं. उनकी स्किन को कॉटन के कपड़े से पोंछे. खास तौर पर जहां नमी रुक सकती है, त्वचा के उस भाग को अच्छी तरह अच्छी तरह से साफ करें
मॉइस्चराइजर जरूरी है
बारिश के मौसम में नमी की वजह से त्वचा चिपचिपी हो सकती है, फिर भी बच्चे की त्वचा पर मॉइस्चराइजर का प्रयोग जरूर करें. नहलाने के तुरंत बाद बच्चे को हाइपो-एलर्जेनिक बेबी मॉइस्चराइजर लगाएं. यह नमी को लॉक करने और त्वचा की सुरक्षा करने में मदद करता है.
डायपर की देखभाल
रैशेज से बचने के लिए डायपर को बार-बार बदलें. त्वचा की सुरक्षा के लिए बिना खुशबू वाले बेबी वाइप्स और जिंक ऑक्साइड वाली बैरियर क्रीम का इस्तेमाल करें. हर बार डायपर बदलने के दौरान बच्चे की त्वचा को कुछ मिनट के लिए हवा में रहने दें, ताकि त्वचा लंबे समय तक नमी से बची रहे
ज्यादा गर्मी से बचाएं
आपके बच्चे के आस-पास का वातावरण ठंडा और हवादार हो. ज्यादा गर्मी से घमौरियां हो सकती हैं, जो मानसून के दौरान त्वचा में होने वाली एक आम समस्या है. मानसून में बैक्टीरिया और फंगल संक्रमणों का जोखिम बढ़ जाता है. अपने बच्चे की त्वचा पर लालिमा, सूजन या असामान्य धब्बों के किसी भी लक्षण के प्रति सतर्क रहें.
नवजात शिशु की मालिश भी है जरुरी
हल्के तेल से रोजाना मालिश करने से शिशु में ब्लड सर्कुलेशन और त्वचा की बनावट में सुधार हो सकता है. मालिश के लिए नारियल या बादाम के तेल का इस्तेमाल करें, इनसे एलर्जी होने की संभावना कम होती है.