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बाबा रामदेव ने बताया जुकाम होने की वजह, साझा किए राहत के आसान उपाय

सर्दियां हो या फिर गर्मी और बरसात, जुकाम और खांसी होना ऐसी नॉर्मल हेल्थ प्रॉब्लम हैं, जो किसी भी मौसम में परेशान कर सकती हैं. बाबा रामदेव के मुताबिक खांसी-जुकाम (कफ-कोल्ड) की समस्या को मुख्य रूप से शरीर में वात और कफ दोषों के इंबैलेंस से जुड़ी हुई होती है. उनका कहना है कि वे कि जिन व्यक्तियों के शरीर की प्रकृति वात वाली होती है, उन्हें खानपान में थोड़े से चेंज करने जैसे चिकनाई, ठंडी या खट्टी चीजें खाना…इससे वात बढ़ जाता है, जिसकी वजह से कफ-कोल्ड हो सकता है. वात प्रकृति वाले बहुत संवेदनशील होते हैं, जिससे छोटी-छोटी बातों से उनपर इफेक्ट हो सकता है. इसके अलावा कफ दोष अगर शरीर में बढ़ा हुआ हो तो इससे म्यूकस बनने लगता है.

बाबा रामदेव कहते हैं कि कफ दोष की वजह से सिर्फ कफ ही नहीं बढ़ता है, बल्कि इससे आपके पूरे शरीर पर प्रभाव पड़ता है, जैसे इससे मोटापा (इंफ्लामेशन) बढ़ सकता है. इससे शरीर में भारीपन होना, नींद बहुत लगना, सुस्ती रहना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. बाबा रामदेव जुकाम-खांसी होने पर बच्चों को सीधे दवा देने की बजाय नेचुरल चीजों को खाने की सलाह देते हैं.

कौन-कौन सी चीजें फायदेमंद?

बाबा रामदेव पेरेंट्स को सलाह देते हैं कि उन्हें बच्चों की छोटी हेल्थ प्रॉब्लम में प्राकृतिक चीजों से उपचार की कोशिश करनी चाहिए. जुकाम-खांसी में हल्दी, अदरक, तुलसी, लौंग, काली मिर्च, इलायची, जावित्री, जायफल और मुलेठी जैसी चीजें काफी फायदेमंद रहती हैं. इनमें से ज्यादातर चीजें घर में मिल जाती हैं या फिर आप दुकान से खरीद सकते हैं.

ये रहा नुस्खा

उदाहरण के तौर पर बाबा रामदेव कहते हैं कि जायफल, जावित्री और लौंग को पत्थर पर हल्का घिसकर ले सकते हैं या फिर लौंग और काली मिर्च को हल्का भूनकर चबाने से भी खांसी में भी तुरंत आराम मिल सकता है. इसके अलावा इन सारी चीजों को पानी में उबालकर आप काढ़ा भी बना सकते हैं जो काफी प्रभावी होता है. हल्दी वाला दूध बच्चों की इम्यूनिटी बूस्ट करता है जिससे वो खांसी-जुकाम जैसी वायरल समस्याओं से बचे रहते हैं.

ये प्राणायाम करना है फायदेमंद

बाबा रामदेव कहते हैं कि जुकाम-खांसी समेत कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम से बचाव के लिए आप सिद्धासन, भस्त्रिका, कपालभाति जैसे प्राणायाम करने चाहिए. इन सभी प्राणायाम में सांसो को अलग-अलग लय में छोड़ा और खींचा जाता है, जिससे शरीर में वात, पित्त, कफ प्रकृति को संतुलित किया जा सकता है. जिससे आप बीमार नहीं होते हैं और आपको दवाओं की कम आवश्यकता होती है.

प्राणायाम में ये बातें रखें ध्यान

भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास के लिए सीधे सिद्धासन, सुखासन या पद्मासन में बैठना चाहिए. इस दौरान हाथ-पैरों को ढीला रखें, लेकिन अनावश्यक रूप से हिलाना नहीं चाहिए.स्वामी रामदेव इस बात पर जोर देते हैं कि हर प्राणायाम का एक निर्धारित तरीका होता है और भस्त्रिका को सामान्य, मध्यम या तीव्र गति से अपने शरीर की शक्ति के अनुसार करना सही रहता है. इसी तरह से कपालभाति का अभ्यास भी सामान्य या मध्यम गति से अपनी शक्ति के अनुसार किया जाना सही रहता है.इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सहायता भी ली जा सकती है.

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