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धर्मांतरण मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से किया इनकार, कहा- पीड़िता का किया गया मानसिक शोषण

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण से जुड़े एक मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर विचार करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी अधिनियम, 2021 एक नया कानून है जिसे समाज में व्याप्त एक कुप्रथा को रोकने के लिए अधिनियमित किया गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण से जुड़े एक मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर विचार करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी अधिनियम, 2021 एक नया कानून है जिसे समाज में व्याप्त एक कुप्रथा को रोकने के लिए अधिनियमित किया गया है। उक्त अधिनियम के तहत आने वाले मामलों में अगर लगातार हस्तक्षेप किया जाता है तो यह कानून अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल हो जाएगा।

याची के खिलाफ ही लगा सहयोग करने का आरोप
उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने रुक्सार द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। याचिका में आईपीसी और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए प्रार्थना की गई थी। याची के खिलाफ आरोप है कि उसने न केवल पीड़िता को घर बुलाकर उसके दुष्कर्म में सहयोग दिया बल्कि दुष्कर्मी के साथ धर्मांतरण कर विवाह करने का प्रस्ताव भी दिया। मामले के अनुसार याची का पति रहमान शादी से पहले पीड़िता का पीछा करता था। एक बार उसने पीड़िता को घर बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म भी किया। शादी के बाद रहमान का भाई इरफान पीड़िता का पीछा करने लगा। याची पर आरोप है कि उसने पीड़िता को उसकी प्रतिष्ठा व सम्मान खोने और जिंदगी बर्बाद होने का डर दिखाकर इस्लाम धर्म अपनाकर इरफान से शादी करने का सुझाव दिया। सुझाव न मानने पर पीड़िता कई बार पुरुष आरोपियों द्वारा दुष्कर्म की शिकार हुई। हालांकि याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म करने का आरोप पुरुष आरोपियों के खिलाफ था न कि याची के खिलाफ।

पीड़िता का मानसिक शोषण किया गया
इस पर कोर्ट ने कहा कि याची ने न केवल एक महिला को सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक क्षति पहुंचाई है बल्कि उसे उसकी परंपराओं और मान्यताओं एवं मूल्यों से भी अलग करने का दुष्कर्म किया है। यह सत्य है कि भले ही याची द्वारा पीड़िता का शारीरिक दुष्कर्म नहीं किया गया, लेकिन उसके द्वारा पीड़िता का मानसिक शोषण करने का प्रयास अवश्य किया गया है और एक सीमा तक याची पीड़िता का मानसिक शोषण करने में सफल भी हुई, इसलिए उसे किसी भी प्रकार की राहत देना अधिनियम, 2021 के तहत निषिद्ध है।

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