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छोटी काशी भिवानी में जगह-जगह हुआ अन्नकूट के प्रसाद का वितरण बृजवासियों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर किया था इंद्र देवता का घमंड चूर

भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को दिया था इस दिन आश्रय, तब से शुरू गोवर्धन पूजा की परंपरा अन्नकूट का असल मकसद एकता की ताकत को बताना : विधायक घनश्याम सर्राफ

भिवानी, (ब्यूरो): छोटी काशी भिवानी में दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा व अन्नकूट का प्रसाद जगह-जगह वितरित किया गया। इसको लेकर बड़ी संख्या में लोग प्रसाद वितरण कार्यक्रम में पहुंचे तथा कतारें लगाकर अन्नकूट का प्रसाद लेते नजर आएं। इसमें मुख्य तौर पर लस्सी व बेसन से बनने वाली कढ़ी, सब्जी व पुरी का वितरण किया जाता है। इसी कड़ी में भिवानी की राजपूत धर्मशाला में अन्नकूट प्रसाद वितरण कार्यक्रम में भिवानी से विधायक घनश्याम सर्राफ पहुंचे तथा नागरिकों को प्रसाद वितरित किया।
गौरतलब होगा कि हर दीपावली से अगले दिन गोवर्धन पर्व व अन्नकूट प्रसाद मनाया जाता है, परन्तु इस बार एक दिन लेट बुधवार को को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट प्रसाद वितरित किया गया। गोवर्धन पूजा में भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत व गाय की पूजा का विधान है तथा इसी दिन 56 या 108 भोग का प्रसाद बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है, जिसे अन्नकूट कहते है। धार्मिक कथाओं के अनुसार बृजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली से उठाकर हजारों जीव-जंतुओं व मनुष्यों के जीवन को देवराज इंद्र के गुस्से से बचाया था तथा भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र के घमंड को गोवर्धन पर्वत उठाकर चूर-चूर करने का काम किया था। विधायक घनश्याम सर्राफ ने कहा कि अन्नकूट का असल मकसद एकता की ताकत को बताना है। उन्होंने कहा कि यदि हम मिल-जुलकर भोजन करते है तो इससे सामाजिक एकता व भाईचारा बढ़ता है। उन्होंने बताया कि अन्नकूट जैसे कार्यक्रमों में यह शपथ दिलानी चाहिए कि सिर्फ अन्नकूट पर नहीं, बल्कि वर्ष भर तक एक साथ मिलकर भोज करेंगे तथा सामाजिक एकता को मजबूती देंगे। विधायक ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन इंद्र के प्रकोप से गोकुल वासियों व गोकुल की गायों को गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठाकर उसके नीचे आश्रय दिया था, उसके बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा हर वर्ष होती है तथा इसी दिन अन्नकूट का प्रसाद भी बनता है। जिसे बड़े चांव से लोग ग्रहण करते है। इस मौके पर नागरिक अमन, भगवादास कालिया व अन्य नारिकों ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम सामाजिक एकता व भाईचारे को मजबूत करता है। ऐसे में इस प्रकार के कार्यक्रम बहुत जरूरी है।

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