बगदादी का करीबी-अमेरिका ने रखा इनाम… कौन है अबू मोहम्मद अल-जुलानी, जिसने सीरिया में पलट दी सत्ता
मिडिल ईस्ट का देश सीरिया इस समय सुर्खियों में है. सीरिया में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. देश में अब लगभग पूरी तरह से तख्तापलट हो गया है. जहां एक तरफ विद्रोहियों ने देश में कब्जा कर लिया है और चारों तरफ से राजधानी में विद्रोही घुसे हुए हैं. वहीं, दूसरी तरफ राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं. चलिए इसी बीच जानते हैं कि सीरिया में हुए तख्तापलट के पीछे कौन है? क्या अचानक यह तख्तापलट हुआ या सालों से इस मकसद के साथ तैयारी चल रही थी?
सीरिया में तख्तापलट को अंजाम देने वाला नेता अबू मोहम्मद अल जुलानी है. जुलानी विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम का लीडर है. इस समय यह विद्रोही गुट एचटीएस सीरिया का सबसे शक्तिशाली गुट है, जिसने सीरिया की सत्ता को पलट कर रख दिया है. साथ ही अमेरिका ने साल 2017 में जुलानी पर 84 करोड़ 67 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है.
कौन हैं अबू मोहम्मद अल जुलानी?
हयात तहरीर अल शाम के लीडर अबू मोहम्मद अल जुलानी का जन्म साल 1982 में सऊदी अरब के शहर रियाद में हुआ था. अल जुलानी का पैदाइश के बाद अहमद हुसैन अल-शरा नाम रखा गया था. जुलानी के पिता सऊदी में पेट्रोलियम इंजीनियर का काम करते थे. जब जुलानी 7 साल का था तब उनका परिवार सीरिया की राजधानी दमिश्क में जाकर बस गया था.
इसी के बाद बड़े होने के बाद साल 2003 में 21 साल की उम्र में जुलानी इराक चला गया था और वहां जाकर वो अल कायदा में शामिल हो गया था. जुलानी बगदादी का भी काफी करीबी रहा और बगदादी के कैंप में ट्रेनिंग के बाद दोबारा सीरिया पहुंचा था.
बगदादी ने दी जुलानी को बड़ी जिम्मेदारी
साल 2006 में इराक में अमेरिकी सेना ने जुलानी को गिरफ्तार कर लिया था, उसको पांच साल तक हिरासत में रखा गया. जुलानी बगदादी का करीबी था इसी के चलते उस को बाद में सीरिया में अल-कायदा की शाखा, अल-नुसरा फ्रंट स्थापित करने का काम सौंपा गया था, जिसने विपक्ष के कब्जे वाले क्षेत्रों, खास कर इदलिब में अपना प्रभाव बढ़ाया था.
साल 2013 में अल बगदादी ने अपनी ताकत बढ़ाने का निर्णय लिया और सीरिया में ही अपने ग्रुप को बड़ा करने का तय किया. अप्रैल 2013 में, अल-बगदादी ने अचानक इस बात का ऐलान किया कि उसका समूह अल-कायदा के साथ संबंध तोड़ रहा है और सीरिया में ही अपना विस्तार करेगा, प्रभावी रूप से अल-नुसरा फ्रंट को आईएसआईएल नामक एक नए समूह में शामिल किया जाएगा. इस ऐलान के बाद अल-जुलानी ने अल-कायदा के साथ जाने का तय किया और इस बदलाव को खारिज कर दिया.
कैसे किया खुद को अल-कायदा से अलग?
साल 2014 में अल जुलानी ने अपना पहला टीवी इंटरव्यू दिया था उस में उस ने कहा था कि सीरिया पर “इस्लामी कानून” के तहत शासन किया जाना चाहिए. इसी के बाद कुछ सालों बाद जुलानी ने अल कायदा के ग्लोबल खलीफा बनाने के प्रोजेक्ट से खुद को दूर कर लिया और वो सीरिया में ही अपने ग्रुप को मजबूत करने में लग गया.
कैसे बना हयात तहरीर अल-शाम गुट?
साल 2016 में अलेप्पो भी सीरिया के शासन के अधीन हो गया और वहां के सशस्त्र समूह इदलिब की ओर बढ़ने लगे, उसी समय जुलानी ने अपने ग्रुप का नाम अल-नुसरा फ्रंट से बदल कर जभात फतेह अल-शाम कर दिया था. साल 2017 की शुरुआत में, हजारों लड़ाके अलेप्पो से भागकर इदलिब में आ गए और अल-जुलानी ने एचटीएस बनाने के लिए उनमें से कई समूहों को अपने साथ शामिल करने का ऐलान किया और ऐसे अल-जुलानी ने एचटीएस की ताकत बढ़ाने और इसको मजबूत तरीके से खड़ा करने का काम किया.
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज थिंक-टैंक के अनुसार, एचटीएस का मकसद सीरिया को राष्ट्रपति असद के शासन से रिहा कराना है. देश से “ईरानी लड़ाकों को बाहर निकालना” और “इस्लामिक कानून” के मुताबिक एक राज्य की स्थापना करना है.