धर्म/अध्यात्म
पद्म पुराण के अनुसार कौन से होते हैं भगवान के प्रति किए गए 32 अपराध?

पद्म पुराण के पातालखंड में इस बात का वर्णन मिलता है की भक्त प्रभु भक्ति में 32 प्रकार के अपराध जाने अनजाने कर बैठते हैं. अधिकतर यह ज्ञान ना होने के कारण ही होता है इसलिए जान लेना आवश्यक है कि वो कौन से 32 कार्य हैं जो हमें भगवान के समक्ष नहीं करने चाहिए.
इन 32 अपराधों को अक्षम्य में बताया गया है इसलिए अगर हम किसी भी पूजा पाठ में जाते हैं, मंदिर जाते हैं या फिर हम किसी तीर्थ स्थल पर जाते हैं तो हमें भगवान के प्रति यह सेवा अपराध करने से बचना चाहिए.
32 सेवा अपराध
- पहला अपराध- मंदिर में पालकी से जाना अथवा वहां से खड़ाऊं पहनकर जाना.
- किसी भी उत्सव के आने पर भी उत्सव ना मानना. जैसे शिवरात्रि, जन्माष्टमी का ना मनाया जाना या उन उत्सवों में शामिल न होना भी अपराध है.
- भगवान के समक्ष जाकर भी भगवान को प्रणाम ना करना भी अपराध है.
- अपवित्र अवस्था में भगवान के समक्ष जाना अपराध माना गया है अर्थात भगवान के सामने जब भी जायें तब शुद्ध अवस्था में ही जायें.
- भगवान को एक हाथ से प्रणाम करना.
- भगवान के शयन करने के बाद भगवान की परिक्रमा करना अपराध है.
- वहीं मंदिर में पैर पसारकर बैठना अपराध की श्रेणी में आता है.
- भगवान से ऊंचे आसन पर बैठना अपराध माना गया है.
- भगवान के सामने सोना, इसे भी सेवा अपराध में गिना जाता है.
- भगवान के सामने भगवान को अर्पण किए बिना भोजन करना अपराध है.
- झूठ बोलना, मिथ्या वचन बोलना अपराध है.
- मंदिर में ऊंचे स्वर में बात करना अपराध की श्रेणी में आता है.
- मंदिर में व्यर्थ की बातें करना अपराध की श्रेणी में माना जाता है.
- सांसारिक चीजों के लिए भगवान के सामने रोना धोना अपराध माना जाता है.
- मंदिर में किसी भी बात पर वाद-विवाद करना या झगड़ा करना अपराध माना जाता है.
- भगवत विग्रह के सामने किसी को दंड देना अपराध माना जाता है.
- मंदिर में खड़े होकर भगवान के समक्ष किसी को आशीर्वाद देना अपराध माना जाता है.
- मंदिर में कटु वचन बोलना अपराध माना जाता है.
- मंदिर में काले वस्त्र पहनकर जाना या फिर काला कंबल ओढ़कर भगवान के सामने सोना अपराध है.
- भगवान के समक्ष बैठकर किसी के निंदा करना अपराध हैं.
- भगवान के सामने किसी और की स्तुति करना भी अपराध की श्रेणी में माना जाता है.
- भगवान के मंदिर में, तीर्थ स्थल में या भगवान के समक्ष अभद्र वार्ता करना अपराध है.
- भगवान के सामने अधोवायु छोड़ना अपराध है.
- शक्ति होने के बावजूद भगवान की सेवा कार्य ना करना.
- भगवान को बिना निवेदन किये, किसी भी वस्तु का सेवन करना अपराध है.
- ऋतु फल, फूल भगवान को अर्पित ना करना अपराध है.
- अपने उपयोग में ली गई किसी भी वस्तु को भगवान को अर्पित करना अपराध है.
- भगवान के मंदिर में या उनके समक्ष पीठ करके बैठना अपराध है.
- भगवान के सामने किसी और के चरणों का स्पर्श करना भी अपराध है.
- गुरु जी के पूछने पर उत्तर ना देना या जहां गुरु प्रशंसा हो रही हो वहां पर मौन रहना भी अपराध है.
- भगवान के स्थान पर बैठकर अपनी प्रशंसा करना अपराध है.
- वहीं देवताओं की निंदा करना अपराध माना जाता है.
यह 32 अपराध पद्म पुराण के पाताल खण्ड में वर्णित हैं.