राजनीति

अभिषेक बनर्जी ने विदेश में किया पाकिस्तान को बेनकाब, अब घर में सरकार पर दागे 5 सवाल, पहलगाम हमले से लेकर PoK तक पर घेरा

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 5 सवाल उठाए हैं और केंद्र से पूछा है कि घटना के 55 दिन बीत जाने के बाद भी आतंकी क्यों नहीं पकड़े गए हैं? टीएमस महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा में इस बड़े उल्लंघन के लिए जवाबदेही कहां है? यही नहीं, उन्होंने 33 देशों में भारत की तरफ से भेजे गए डेलिगेशन से कितने देशों का समर्थन मिला है इस पर भी सवाल पूछा है.

दरअसल, दुनिया में पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भेजे गए डेलिगेशन का अभिषेक बनर्जी भी हिस्सा थे. जेडीयू के संजय कुमार झा की अध्यक्षता वाले बहुदलीय समूह में यूसुफ पठान की जगह अभिषेक बनर्जी को शामिल किया गया है. डेलिगेशन इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर गया था. इस डेलिगेशन के साथ बनर्जी भी थे. उन्होंने अब घर में सरकार को घेरने के लिए सवाल दागे हैं.

अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘पहलगाम आतंकी हमले को 55 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. यह बेहद चिंताजनक है कि लोकतंत्र में न तो मुख्यधारा का मीडिया, न ही विपक्ष के सदस्य और न ही न्यायपालिका केंद्र सरकार के सामने इन पांच महत्वपूर्ण सवालों को उठाने के लिए आगे आई है. हालांकि, राष्ट्र की भलाई के लिए प्रतिबद्ध एक नागरिक और जवाबदेही के साथ सौंपे गए एक जनप्रतिनिधि के रूप में मैं सरकार के सामने ये पांच सवाल उठाता हूं.’

अभिषेक बनर्जी ने क्या-क्या पूछे सवाल?

1- चार आतंकवादी सीमा पर घुसपैठ करने और हमला करने में कैसे कामयाब हो गए, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए? राष्ट्रीय सुरक्षा में इस बड़े उल्लंघन के लिए जवाबदेही कहां है?

2- अगर यह खुफिया विफलता थी, तो इंटेलिजेंस ब्यूरो चीफ को एक साल का एक्सटेंशन क्यों दिया गया, वह भी हमले के बमुश्किल एक महीने बाद? उन्हें जवाबदेह ठहराने के बजाय पुरस्कृत क्यों किया गया, क्या मजबूरी है? यदि भारत सरकार विपक्षी नेताओं (जिनमें मैं भी शामिल हूं), पत्रकारों और यहां तक ​​कि न्यायाधीशों के खिलाफ भी पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग आसानी से कर सकती है, तो उसे आतंकवादी नेटवर्कों और संदिग्धों के खिलाफ भी इसी उपकरण का उपयोग करने से कौन रोक रहा है?

3- इस क्रूर, धर्म-आधारित नरसंहार के लिए जिम्मेदार चार आतंकवादी कहां हैं, क्या वे मर चुके हैं या जीवित हैं? अगर उन्हें मार गिराया गया है, तो सरकार स्पष्ट बयान क्यों नहीं दे पाई और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया है, तो चुप्पी क्यों है?

4- भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) को कब वापस लेगा, सरकार ने आधिकारिक तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी कि उन्होंने व्यापार के वादे के साथ भारत को युद्ध विराम के लिए राजी किया,140 करोड़ भारतीयों की भावनाओं की अवहेलना क्यों की गई, इस तरह के समझौते का कारण क्या था?

5- पिछले एक महीने में पहलगाम के बाद 33 देशों से संपर्क करने के बाद कितने देशों ने भारत को स्पष्ट समर्थन दिया है? अगर हम वाकई विश्वगुरु हैं और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, तो आईएमएफ और विश्व बैंक ने पहलगाम हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर और 40 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता और दीर्घकालिक निवेश की मंजूरी क्यों दी? सीमा पार आतंकवाद में बार-बार शामिल एक देश न केवल वैश्विक जांच से बच गया, बल्कि उसे पुरस्कृत भी किया गया और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान को बमुश्किल एक महीने बाद ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति का उपाध्यक्ष क्यों नियुक्त किया गया?

‘जनता को चाहिए पारदर्शिता-जवाबदेही’

अभिषेक बनर्जी ने आगे कहा, ‘पिछले 10 सालों में विदेश मामलों पर 2000000000000 (दो लाख करोड़) से ज्यादा खर्च किए गए हैं. भारत की जनता पारदर्शिता, जवाबदेही और नतीजों की हकदार है.’ दरअसल 22 अप्रैल 2025 को आतंकवादियों ने पहलगाम में 26 पर्यटकों को उनका धर्म पूछकर मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना के जवाब में पाकिस्तान में मौजूद आतंक के ठिकानों को भारत ने ध्वस्त कर दिया, जिसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के ऊपर हमला कर दिया था. भारतीय सेना ने न सिर्फ पाकिस्तान के ड्रोन को हवा में खत्म किया बल्कि मुंहतोड़ जवाब दिया.

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