भारत की विभिन्नता में एकता का आधार हमारा संविधान: उपायुक्त महावीर कौशिक

भिवानी, (ब्यूरो): हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान है और यह विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। यह विचार उपायुक्त महावीर कौशिक ने चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की यह धारणा थी कि यह देश ज्यादा दिन तक एक नहीं रहेगा। कश्मीर से कन्या कुमारी और गुजरात से नागालैंड तक अनेक प्रकार की विभिन्नताओं के बाद भी भारत में एकता है और इस एकता का मुख्य आधार हमारा स्वाभिमान है। उपायुक्त ने कहा कि भारत विश्व की प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में निरंतर अग्रसर है। इसका सारा श्रेय हमारे संविधान निर्माताओं को जाता है। हम अपने संविधान निर्माताओं को याद कर उन्हें कोटि कोटि नमन करते हैं। हमारे संविधान में हमारे मौलिक अधिकारों के साथ हमारे मौलिक कर्तव्य हैं। हम अपने मौलिक अधिकारों की बात करते वक्त अपने मौलिक कर्तव्यों का बोधन करें। उन्होंने युवाओं को एक भारत श्रेष्ठ भारत एवं विकसित भारत में पूर्ण सहभागिता का आह्वान किया। उन्होंने हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी एवं समस्त विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो दीप्ति धर्माणी ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता हिंद समाचार के पूर्व प्रभारी एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक लक्ष्मी नारायण भाला ने कहा कि हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान एवं देश की आत्मा है। हमें अपने संविधान पर पूर्णतया गर्व है।उन्होंने संविधान के चित्रण के साथ प्रकाशन, संविधान लेखन के इतिहास के विभिन्न प्रसंगों पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर पूर्व सूचना आयुक्त भूपेंद्र धर्माणी, नगराधीश विपिन कुमार, जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी संजीव सैनी, प्रो. एसके कौशिक, प्रो. डीके मदान, प्रो. सोनू मदान, डॉ. सुरेश मलिक, डॉ. रविप्रकाश, डॉ. स्नेहलता शर्मा, डॉ. लखा सिंह, डॉ. दीपक कुमारी, डॉ. सुशीला आर्य, डॉ. नवीन, डॉ. महक जनसंपर्क एवं मीडिया प्रभारी ऋषि शर्मा सहित अनेक शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।