EC का बड़ा कदम: BLO से ऐप का ‘एडिट ऑप्शन’ वापस, बंगाल में मचा घमासान

पश्चिम बंगाल में मतदाता सत्यापन में अहम भूमिका निभाने वाले बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की सुविधा के लिए ऐप में एडिट का विकल्प दिया गया था. ताकि कोई गलती होने पर वो बाद में ऐप में उसे सुधार सकें, लेकिन उस विकल्प को फिर से वापस ले लिया गया है.
बीएलओ ऐप में एडिट का विकल्प
वोटर यूनिटी फ़ोरम के स्वपन मंडल ने कहा ‘कुछ मामलों में, डेटा दर्ज करते समय भी अनजाने में ग़लतियां हो जाती हैं. हर कोई ऑनलाइन जानकार नहीं होता. आज मैंने देखा कि बीएलओ ऐप में एडिट का विकल्प दिया गया है’.
BLO का आरोप
BLO) का काम आसान बनाने के लिए बनाया गया नया चुनाव आयोग गणना ऐप उनके लिए निराशा का सबब बन गया है. कई BLO इसमें खराबी, असहनीय दबाव और यहां तक कि दुखद परिणामों का आरोप लगा रहे हैं. BLO का कहना है कि ऐप बार-बार क्रैश हो जाता है, दस्तावेज़ों को स्कैन नहीं कर पाता, और समय सीमा के भीतर सैकड़ों फ़ॉर्म अपलोड करना लगभग असंभव बना देता है. एक BLO ने बताया ‘हमने लाइव डेमो में दिखाया था. ऐप ठीक से काम नहीं कर रहा है. चुनाव आयोग का दबाव असहनीय है. तीन BLO आत्महत्याएं कर चुके हैं. हमें तत्काल मदद की ज़रूरत है’.
चुनाव आयोग ने वापस लिया विकल्प
ऐप पर शुरू में उपलब्ध कराए गए अनमैप विकल्प ने भी भ्रम और विवाद पैदा किया था, जिसे चुनाव आयोग ने वापस ले लिया . चुनाव आयोग ने माना कि EDIT/ अनमैप विकल्प से भ्रम की स्थिति पैदा हो रही थी, BLO और राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे थे, इसलिए विकल्प वापस ले लिया गया है.
नेताओं ने कही ये बात
इधर बीजेपी नेता राहुल सिन्हा का कहना है कि ‘ऐप में यह समस्या नहीं होनी चाहिए. BLO को संपादन की सुविधा की आवश्यकता नहीं है. अवैध मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल होने से रोकने का एकमात्र तरीका SIR प्रक्रिया है’. वहीं इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्य वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य का कहना है कि ‘अगर BLO ऐप का सही इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे, तो गणना कैसे संभव होगी? यह SIR प्रक्रिया चुपचाप व्यवस्थित गहन धांधली जैसी लगती है. चुनाव आयोग कथित तौर पर उसके दबाव में हुई मौतों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता’.
‘समय सीमा बढ़ाना संभव नहीं’
इस बीच, शुक्रवार को फिर से जिलाधिकारियों के साथ बैठक में सीईसी ज्ञानेश भारती ने साफ कर दिया कि फॉर्म डिजिटलीकरण की समय सीमा किसी भी तरह से बढ़ाना संभव नहीं है. आयोग ने समय सीमा 4 दिसंबर नहीं, बल्कि 25 नवंबर तय की है.
BLO ने समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है. BLO का एक वर्ग यह भी साफ तौर पर कह रहा था कि काम का बोझ इतना ज्यादा है कि इसे 2 हफ्ते में पूरा नहीं किया जा सकता. जिलाधिकारियों ने सीईसी के समक्ष यह मुद्दा उठाया. लेकिन सीईसी ने साफ कह दिया है कि भले ही बीएलओ पर अतिरिक्त दबाव है, लेकिन अगर पहले काम पूरा नहीं हुआ तो डिजिटलीकरण के बाद अन्य काम पूरे करने में दिक्कतें आएंगी
जैसे-जैसे SIR तकनीकी गड़बड़ियों और बढ़ते कार्यभार के बीच जूझ रहे हैं, ऐप और SIR प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ होता जा रहा है. फ़िलहाल, चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों, दोनों पर यह सुनिश्चित करने का दबाव है कि तकनीक लोकतंत्र को बाधित करने के बजाय उसे मज़बूत बनाए.




