भोपाल में ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन, सरदार पटेल जयंती पर CM मोहन यादव ने दिखाई हरी झंडी

राष्ट्रीय एकता दिवस यानी लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल के शौर्य स्मारक में ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन को हरी झंडी दिखाई. इस मौके पर उन्होंने भारत माता और सरदार पटेल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि जब देश आजाद होने की तरफ कदम बढ़ा रहा था, तब कई हस्तियों ने अलग-अलग प्रकार के योगदान दिया. इन हस्तियों ने देश के लिए सबकुछ देने का प्रयास किया.
सीएम यादव ने कहा कि कई बार तो हमें भी लगता है कि ऐसा कैसे हुआ होगा, ये हो कैसे सकता है. लेकिन, उन सारे आश्चर्य और ऊर्जा-उत्साह-समझदारी से भरे निर्णयों में से एक निर्णय सरदार वल्लभ भाई पटेल का भी था. आइए हम सब मिलकर सरदार पटेल को स्मरण करें. उनके दिखाए मार्ग पर चलने से दुनिया की कोई ताकत भारत की ओर बुरी नजरों से नहीं देखेगी.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरदार पटेल एक साधारण किसान परिवार से निकले व्यक्ति थे. उनके बड़े भाई का नाम विट्ठल भाई था. उन्हीं के कहने पर सरदार पटेल ने विदेश में कानून की पढ़ाई की. इन दो भाइयों की जोड़ी ने देश के लिए अहम योगदान दिया. उस समय विट्ठल भाई सरदार पटेल से भी बड़े नेता थे. जब महात्मा गांधी सत्याग्रह करते थे, तब सरदार पटेल थोड़ा झिझकते थे.
उन्होंने कहा कि वे सोचते थे कि इतने बड़े संघर्ष में सत्याग्रह को लेकर कोई कैसे आगे बढ़ सकता है. उस दौर में अंग्रेज तब भी किसानों से कर लेते थे, जब अकाल पड़ जाता था या भुखमरी होती थी. उस माहौल में आक्रोशित सरदार पटेल महात्मा गांधी के पास गए और सत्याग्रह में उनका साथ दिया. सीएम डॉ. यादव ने कहा कि बारदोली सत्याग्र के बाद उन्हें सरदार की उपाधि मिली. उसके बाद महात्मा गांधी ने जो भी आंदोलन किए उसके पीछे सरदार पटेल ने अहम भूमिका निभाई.
भविष्य की अद्भुत कल्पना
सीएम डॉ. मोहन ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल का एक-एक कदम आज भी समसामयिक है. जब अंग्रेजों ने तय कर लिया कि भारत छोड़कर जाना है तो उन्होंने एक भयंकर षड्यंत्र रचा. अंग्रेजों ने इसके बीज बहुत पहले ही डाल दिए थे. अंग्रेज देश के टुकड़े-टुकड़े देखना चाहते थे. इसलिए उन्होंने भारत-पाकिस्तान को अलग और 562 रियासतों को मुक्त करने की योजना बनाई. उन 562 रियासतों में से कई रियासतों ने भारत में मिलने से मना कर दिया. ऐसी परिस्थिति में अपनी बुद्धि से सरदार पटेल ने सारी रियासतों को एक-एक करके देश में मिलाया.
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का मानना था कि अगर भारत का विभाजन रोकना है तो देश का आंतरिक तंत्र इतना मजबूत करना होगा जिसके भरोसे भविष्य में सारी परेशानियों से निपटा जा सके. इतना ही नहीं सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का मुद्दा भी उठाया था. उन्होंने कहा था कि समाज के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण होना चाहिए. उन्होंने बिना सरकारी मदद के मंदिर बनवाकर देश का स्वाभिमान जाग्रत किया.
इस बात पर कायम पीएम नरेंद्र मोदी
प्रदेश के मुखिया डॉ. यादव ने कहा कि हमारा स्वाभिमान जागा तो अंततः सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला दिया. यह प्रश्न पहले भी हल किया जा सकता था. जम्मू-कश्मीर, धारा-370 का मामला यूनाइटेड नेशंस में ले जाना भी गलती थी. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था कि देश के मसले को देश के ही लोग सुलझाएंगे. पड़ोसी का मामला पड़ोसी के साथ निपटाएंगे. इसमें किसी तीसरे देश की दखलअंदाजी की जरूरत नहीं. हम सब ने इस दखलअंदाजी का परिणाम देखा है.
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज भी हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी बात पर कायम हैं कि हमें मसले सुलझाने के लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं. यह सरदार पटेल के दिखाए मार्ग पर चलने का स्वर्णिम अवसर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की प्रतिमा बनाकर उनके कामों का स्मरण किया. यह प्रतिमा किसी अजूबे से कम नहीं. आइए हम सब मिलकर सरदार पटेल को स्मरण करें. उनके दिखाए मार्ग पर चलने से दुनिया की कोई ताकत भारत की ओर बुरी नजरों से नहीं देखेगी. मैं आप सभी को एकता दिवस की बधाई देता हूं.




