हरियाणा में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए राहत, 1.15 करोड़ लोगों तक बढ़ाई गई योजना, अब 2030 तक मिलेगा लाभ

चंडीगढ : केंद्रीय मंत्री ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि “स्वनिधि से समृद्धि” केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह गरीब से गरीब व्यक्ति के सशक्तिकरण का राष्ट्रीय संकल्प है। सरकार का उद्देश्य है कि हर रेहड़ी-पटरी वाला आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने और डिजिटल युग में अपनी पहचान मजबूत करे। केंद्रीय मंत्री दिल्ली स्थित संकल्प भवन में पीएम स्वनिधि योजना की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
देशभर के रेहड़ी-पटरी वालों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के मिशन को नई गति देने के उद्देश्य से आयोजित हुई बैठक में 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी विकास मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी, वित्तीय सेवा विभाग और प्रमुख बैंकों के प्रतिनिधि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अगस्त माह में हुई कैबिनेट बैठक में योजना के पुनर्गठन और ऋण अवधि को 31 मार्च 2030 तक बढ़ाने की मंजूरी दी गई थी, जिसमें 7,332 करोड़ के परिव्यय के साथ पुनर्गठित योजना के अंतर्गत 50 लाख नए लाभार्थियों सहित कुल 1.15 करोड़ रेहड़ी-पटरी वालों को लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उस पर चर्चा हुई।
बैठक के दौरान मंत्री ने योजना को नई गति देने के लिए ‘स्वनिधि संकल्प अभियान’ की घोषणा की, जो 3 नवंबर से 2 दिसंबर 2025 तक चलेगा। इस राष्ट्रीय अभियान का उद्देश्य अधिक से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों तक योजना का लाभ पहुंचाना और आवेदन प्रक्रिया को सुगम बनाना है।
मनोहर लाल ने कहा कि केंद्र सरकार हर जरूरतमंद तक पीएम स्वनिधि योजना का लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मसम्मान के साथ जीवन यापन कर सकें और देश की शहरी अर्थव्यवस्था में योगदान दें।
पात्र लाभार्थियों की पहचान करें राज्य
केंद्रीय मंत्री ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और बैंकों से कहा कि वे जागरूकता बढ़ाने, पात्र लाभार्थियों की पहचान करने, लौटाए गए आवेदनों का शीघ्र निपटान करने और लंबित ऋणों के वितरण में तेजी लाने के लिए ठोस कदम उठाएं। लाभार्थियों को पहली ऋण किस्त से आगे बढ़ाकर दूसरी और तीसरी किस्त तक पहुंचाने के प्रयासों को प्राथमिकता दी जाए ताकि वे अपने व्यवसाय को स्थायी रूप से आगे बढ़ा सकें। उन्होंने सभी लाभार्थियों की डिजिटल ऑनबोर्डिंग, 100 प्रतिशत डिजिटल भुगतान प्रणाली, और एफएसएसएआई के माध्यम से स्वच्छता एवं खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण को अनिवार्य करने पर जोर दिया गया।




