भागलपुर का रहस्यमयी काली मंदिर: शराब पीते ही खून निकलने की अजीब घटना, भयभीत हुए श्रद्धालु

बिहार के भागलपुर में एक प्राचीन बड़ी काली मंदिर है. ये मंदिर काफी रहस्यमयी माना जाता है. कारण है, यहां होने वाली अजीबोगरीब घटनाएं. स्थानीय लोगों के अनुसार, जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहां मां काली की आराधना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. लेकिन अगर कोई शराब या नशे की हालत में मंदिर परिसर में प्रवेश करता है या सीढ़ियों पर कदम रखता है तो उसे किसी न किसी अनहोनी का सामना करना पड़ता है. वह रहस्यमय तरीके से बीमार पड़ता है और इलाज में कारण भी स्पष्ट नहीं होता.
माना जाता है कि मां के द्वार पर नशे में पहुंचे तो खुद ही आपको सजा भी मिल जाती है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही एक चेतावनी लिखी हुई है- शराब या नशे की हालत में मां काली के दरबार में प्रवेश पूर्णतः निषिद्ध है. यह मंदिर भागलपुर से लगभग पांच किलोमीटर दूर सरदोह गांव में है.
नाक कान से निकलने लगता है खून
गांव के ही निवासी विनय झा बताते हैं कई बार कुछ लोग शराब पीकर मंदिर आए और उनके साथ अजीब घटनाएं हुईं. किसी को अचानक चक्कर आने लगा किसी के नाक और कान से खून निकलने लगा. डॉक्टर भी इसका कारण नहीं बता सके. तभी से सभी मानने लगे कि मां काली नशे में आने वालों को दंड देती हैं. लोग कहते हैं मंदिर में प्रवेश करने से पहले शुद्ध मन और स्वच्छ शरीर के साथ ही देवी के दर्शन करने चाहिए. यही कारण है कि यहां का माहौल हर समय पवित्रता और श्रद्धा से भरा रहता है. यह मान्यता इतनी गहरी है कि आसपास के गांव के लोग भी इस नियम को तोड़ने की हिम्मत नहीं करते.
भव्य काली पूजा की तैयारी शुरू, श्रद्धा में डूबा सरदोह
मां काली की वार्षिक पूजा अब बस 10 दिन बाद आयोजित की जाएगी. मंदिर और आसपास का इलाका उत्सव की रोशनी से जगमगा उठा है. कारीगर दिन-रात मंडप और तोरण द्वार की सजावट में लगे हुए हैं. शेखर सुमन जिन्होंने अपने निजी प्रयासों से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, बताते हैं कि मां की कृपा से आज यह मंदिर पहले से कहीं अधिक भव्य हो गया है. इस साल पूजा में देश के कई राज्यों से कलाकार और पंडित शामिल होंगे. साथ ही भजन संध्या में भोजपुरी सिनेमा के प्रसिद्ध गायक छैला बिहारी शिरकत करेंगे. पूजा के दौरान तीन दिन तक भजन, कीर्तन और यज्ञ का आयोजन किया जाएगा. पूरा सरदोह गांव इन तैयारियों में जुटा है.
मां के चमत्कारों पर टिकी आस्था
मंदिर से जुड़ी कई कथाएं यहां के लोगों की जुबान पर आज भी जिंदा हैं. एक महिला रोज मंदिर की सफाई करती थी और प्रार्थना करती थी कि जेल में बंद उसका पति रिहा हो जाए. कुछ महीनों बाद वो बिना किसी सिफारिश के रिहा कर दिया गया. एक अन्य घटना में मोहल्ले के बुजुर्ग ने अपनी बीमार पत्नी के ठीक हो जाने के लिए मन्नत मांगी. उन्होंने लगातार 11 दिन तक मां के चरणों में दीप जलाया और कुछ ही दिनों में उनकी पत्नी स्वस्थ हो गईं.
सरदोह की बड़ी काली मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि भक्ति और अनुशासन का प्रतीक है. यहां की मान्यता लोगों को सिखाती है कि देवी के दरबार में नशा, घमंड या छल नहीं केवल सच्चे मन की भक्ति स्वीकार होती है. इसलिए जब कोई श्रद्धालु माँ के दरबार में पहुंचता है तो उसके मन में सिर्फ एक ही भावना होती है- मां, बस आपकी कृपा बनी रहे.




