उत्तराखंड

आजादी के बाद इस सीट पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को रास नहीं आई राजनीति, उठाए ये कदम

अल्मोड़ा : आजादी के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को अल्मोड़ा संसदीय सीट से चुनाव लड़ना रास नहीं आया। लगातार पहली और दूसरी लोकसभा में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे सेनानी अपना कार्यकाल तक पूरा नहीं कर पाए। पांच वर्ष में दो बार इस सीट पर उपचुनाव हुए। वर्ष 1957 के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने फिर कभी चुनाव नहीं लड़ा।

1952 में हुए पहले आम चुनाव

वर्ष 1952 में पहले आम चुनाव हुए। तब अल्मोड़ा जिला नॉर्थ-ईस्ट संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देवीदत्त पंत ने चुनाव लड़ा। उनके खिलाफ सोशलिस्ट पार्टी की पूर्णानंद व निर्दलीय गुरुदास ने चुनाव लड़ा। चुनाव में 54.60 प्रतिशत मत लाकर कांग्रेस के देवीदत्त पंत चुनाव जीतने में सफल रहे।

दो वर्ष बाद वर्ष 1954 में दिल्ली में उनकी एक कर दुर्घटना में मौत हो गई। देवीदत्त पंत की मौत के बाद वर्ष 1955 में इस सीट पर उपचुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस के टिकट पर कुमाऊं केसरी बद्रीदत्त पांडे ने चुनाव लड़ा और वह भी चुनाव जीतने में सफल रहे।

1957 में दूसरे आम चुनाव हुए। उस समय बद्रीनाथ पांडे की तबीयत खराब हो गई। उन्होंने चुनाव लड़ने में असमर्थता दिखाई। जिसके बाद कांग्रेस के टिकट पर हरगोविंद पंत ने चुनाव लड़ा। 55.07 प्रतिशत मतों के साथ वह चुनाव जीतने में सफल रहे। उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के पूर्णानंद को पराजित किया।

जीतने के कुछ ही माह बाद ही उनकी श्राी असमय मौत हो गई। इसके बाद वर्ष 1957 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अल्मोड़ा जिले के रसूखदार जंग बहादुर सिंह बिष्ट को टिकट दिया और उन्होंने बाद में जीत की हैट्रिक लगाई और कार्यकाल पूरा किया।

हुडक्या वकील के नाम से प्रसिद्ध

देवीदत्त पंत ने सबसे पहले गोरों के खिलाफ चल रहे सविनय अवज्ञा आंदोलन में गिरफ्तारी दी। उसके बाद लगातार आजादी के लिए संघर्ष किया और जेल गए। भारत छोड़ो आंदोलन में भी जेल गए। सामाजिक आंदोलनों के जरिए उन्होंने रुढ़िवादी परंपराओं पर चोट की। तब उन्हें हुडक्या वकील के नाम से भी एक वर्ग पुकारता था।

संविधान सभा के सदस्य रहे पंत

वर्ष 1915 में उत्तराखंड का पहला राजनीतिक संगठन कुमाऊं परिषद की स्थापना करने वाले हरगोविंद पंत ने क्षेत्र में कुलीन ब्राह्मणों के हल न चलाने की प्रथा को स्वयं हल चलाकर तोड़ा था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे वर्ष 1930, 1932 और 1940 में कई बार जेल गए। वह संविधान सभा के सदस्य थे।

  • वर्ष,          पार्टी,               मत
  • 1952 कांग्रेस, देवीदत्त पंत,  54964 जीत

एसपी, पूर्णानंद, 24169

गुरुदास,  21534

  • 1957 कांग्रेस, हरगोविंद पंत, 49549 जीत

पीएसपी, पूर्णानंद,      40422

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