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मंत्रमुग्ध कर बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है कुमाऊंनी होली, तीन चरण होते हैं खास

दन्यां: खुद में विशिष्ट पहचान वाली कुमाऊंनी होली तीन चरणों में सम्पन्न होती है। कुमाऊं की खड़ी व बैठकी होली गायकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर बरबस अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम होती है।

ये होते हैं होली के तीन चरण

कुमाऊं में खड़ी व बैठकी दो प्रकार की होली काफी प्रचलित है। बैठकी होली पौष माह के प्रथम रविवार से शुरू होकर छलड़ी तक गाई जाती है। पौष माह के प्रथम रविवार से बसंत पंचमी तक पहला, बसंत पंचमी से शिवरात्रि तक दूसरा और शिवरात्रि से छलड़ी तक तीसरा चरण माना गया है।

प्रथम चरण में भक्ति के पद, दूसरे चरण में राधा कृष्ण की लीलाएं तथा अंतिम चरण में देवर भाभी व रास लीला पर आधारित गुदगुदी रचनाओं का गायन होता है। पुरुष होल्यारों के बीच खड़ी होली की भी विशेष पहचान है।

ढोलक की धुन में कदमों को मिलाते हुए पुरुष होल्यार गोल घेरे में सस्वर होली गायन करते हैं। पिछले कुछ सालों से रंग पर्व होली का स्वरूप भी काफी बदल गया है। पुराने होल्यार होली के बदलते स्वरूप को लेकर काफी चिंतित हैं।

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