दिल्ली

संजय कपूर की प्रॉपर्टी का सीलबंद व्यौरा देंगी प्रिया सचदेवा, करिश्मा के बच्चे भी हुए सहमत

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिवंगत संजय कपूर की पत्नी प्रिया कपूर को उनकी संपत्तियों की सूची सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने की अनुमति दे दी और संपत्ति विवाद से जुड़े पक्षों को मीडिया के साथ विवरण साझा न करने का सुझाव दिया. जस्टिस ज्योति सिंह ने संजय कपूर की पूर्व पत्नी और अभिनेत्री करिश्मा कपूर से उनके बच्चों के अलावा प्रिया सहित सभी पक्षों की ओर से पेश हुए वकीलों के दलीलों पर गौर किया.

कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि राजीव नायर (प्रिया कपूर के वकील) ने दलील दी है कि न तो वह, न ही उनके पक्ष का कोई अन्य वकील और न ही उनके मुवक्किल इस मामले के संबंध में कोई प्रेस बयान देंगे. महेश जेठमलानी (बच्चों के वकील) और प्रतिवादी संख्या 3 (संजय कपूर की मां रानी कपूर) ने भी इसी तरह का आश्वासन दिया है.

संपत्तियों की जानकारी सीलबंद लिफाफे में जमा करने की अनुमति

हाईकोर्ट ने प्रिया सचदेव कपूर को अपने दिवंगत पति संजय कपूर की संपत्तियों की सूची सीलबंद लिफाफे में जमा करने की अनुमति दे दी. इससे पहले, दोनों पक्षों ने आश्वासन दिया था कि कोई भी प्रेस बयान मीडिया में लीक नहीं किया जाएगा. जस्टिस ज्योति सिंह ने यह भी निर्देश दिया कि संजय कपूर की ‘वसीयत’ की एक प्रति उनकी मां रानी कपूर के साथ साझा की जाएगी, जबकि मूल प्रति गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास रहेगी.

कोर्ट ने प्रिया, उनके सौतेले बच्चों समायरा और कियान राज कपूर (उनकी मां करिश्मा कपूर के माध्यम से) और रानी कपूर के वकीलों द्वारा दिए गए इस वचन पर गौर किया कि न तो वे, न ही उनके मुवक्किल और न ही उनकी कानूनी टीम इस मामले से संबंधित कोई प्रेस बयान जारी करेगी. दरअसल, प्रिया ने साइबर सुरक्षा जोखिम और संवेदनशील वित्तीय जानकारी के संभावित दुरुपयोग का हवाला देते हुए गोपनीयता की मांग की थी.

सभी पक्षों से एक गोपनीयता समझौते पर हस्ताक्षर

प्रिया कपूर ने यह भी सुझाव दिया कि या तो सभी पक्षों से एक गोपनीयता समझौते पर हस्ताक्षर करवाए जाएं या एक गोपनीयता क्लब बनाया जाए जिसकी पहुंच केवल नामित वकीलों और विशेषज्ञों तक ही सीमित हो. यह विवाद समायरा और कियान राज कपूर द्वारा दायर एक बंटवारे के मुकदमे से उपजा है, जिसमें उन्होंने अपने पिता की संपत्ति के बंटवारे, खातों की जांच और प्रिया और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ निषेधाज्ञा की मांग की है.

वसीयत की प्रामाणिकता पर सवाल

पहले हुई सुनवाई में बच्चों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने वसीयत की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि इसे जाली बनाया गया है और संदिग्ध परिस्थितियों में इसका खुलासा किया गया है. उन्होंने दावा किया कि इसके तहत 2 बैंक खातों और एक कंपनी के शेयरों सहित संपत्ति पहले ही हथिया ली गई है. प्रिया की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने इस बात का विरोध किया कि बच्चे पहले से ही पारिवारिक ट्रस्टों के लाभार्थी हैं और उन्हें 1,900 करोड़ रुपये मिले हैं. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि इन लोगों को सड़क पर छोड़ दिया गया है. मैं (प्रिया) एक विधवा हूं और मेरा एक छह साल का बच्चा है.

संजय कपूर के बच्चों की उस याचिका पर सुनवाई

रानी कपूर की ओर से सीनियर एडवोकेट वैभव घग्गर ने भी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि प्रिया की शादी के बाद पारिवारिक ट्रस्टों के तहत उनके अधिकारों का हनन हुआ है. अपने पोते-पोतियों के लिए चिंता व्यक्त करते हुए, रानी कपूर ने कोर्ट से कहा कि कुछ ग़लत हो रहा है. बार-बार मेल करने के बावजूद, मुझे वसीयत की प्रति नहीं मिली. दिल्ली हाईकोर्ट मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को करेगी, तब कोर्ट संजय कपूर के बच्चों की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें मुकदमे का फैसला आने तक प्रतिवादियों को संपत्ति बेचने, ट्रांसफर करने से रोकने की मांग की गई है.

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