भोपाल के 90 डिग्री पुल को लेकर झूठी खबरें, सच्चाई हुई सामने

मध्य प्रदेश के भोपाल में बना कुख्यात 90 डिग्री पुल का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. भोपाल के ऐशबाग पर बने इस ब्रिज की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई. इस रिपोर्ट में कॉलेज के एक प्रोफेसर विशेषज्ञ ने बताया कि यह पुल वास्तव में 90 डिग्री का नहीं बल्कि 119 डिग्री का है. इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने पुल को बनाने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए समय मांगा है.
यह रिपोर्ट भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर विशेषज्ञ ने कोर्ट में प्रस्तुत की, जिसे चीफ जस्टिस संजीव सचदेव और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ के समक्ष पेश किया गया.
सरकार ने कंपनी को किया था ब्लैक लिस्टेड
राज्य सरकार ने कोर्ट से अपने उस फैसले पर दोबारा विचार करने का समय मांगा है, जिसमें सरकार ने इस विवादित पुल को बनाने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. कोर्ट ने उस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की रोक पर अपना फैसला बरकरार रखा है. बता दें कि राज्य सरकार ने 90 डिग्री का पुल बनाने वाली कंपनी पुनीत चड्ढा को इस तरह का पुल बनाने को लेकर ब्लैकलिस्ट कर दिया था. इसके खिलाफ कंपनी हाईकोर्ट गई, तो कोर्ट ने एक्सपर्ट रिपोर्ट मंगवाई थी.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सरकार ने उसे सुनवाई का मौका नहीं दिया और केवल जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया.
पुल का एंगल 119 डिग्री
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि उन्हें 2021-22 में ऐशबाग में एक फ्लाईओवर को बनाने का ठेका मिला था. पुल को बनाने का ढ़ांचा सरकारी एजेंसी द्वारा जारी किया गया था और किसी कारणवश उस पुल का काम सिर्फ 18 महीने में पूरा होना था. विशेषज्ञ द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार द्वारा दी गई रिपोर्ट में पुल का एंगल 119 डिग्री है, जबकि साइट पर नापने पर वो 118 डिग्री 40 मिनट आया, जो लगभग बराबर है.
PWD मंत्री ने भी किया था बचाव
TV9 द्वारा आयोजित सत्ता सम्मेलन कार्यक्रम में भी PWD मंत्री राकेश सिंह ने 90 डिग्री के इस पुल का बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि 90 डिग्री का पुल होना कोई गलत नहीं है. कई देशों में इस तरह के पुल मिल आम बात है. उन्होंने कहा था कि पुराने शहर में पुल या सड़क बनानी होती है तो वहां जगह नहीं होती है इसलिए इस तरह के पुल बनाने का रास्ता अपनाना पड़ता है. इसके आगे उन्होंने कहा कि ये सिर्फ कहने की बात होती है कि पुल 90 डिग्री का होता है, जबकि कोई पुल 90 डिग्री का नहीं होता है. उन्होंने स्पष्ट किया था कि ऐशबाग में बना पुल 90 डिग्री का नहीं बल्कि 118 डिग्री का है.
तो फिर किस आधार पर हुई कंपनी पर कार्रवाई?
अब सवाल ये उठता है कि जब पुल बनाने वाली कंपनी ने सभी नियमों का पालन किया, तो उस पर कार्रवाई किस आधार पर हुई. इस सवाल का जवाब भी मंत्री राकेश सिंह ने Tv9 सत्ता सम्मेलन के कार्यक्रम में दिया. उन्होंने कहा कि अधिकारियों पर कार्रवाई 90 डिग्री पुल की वजह से नहीं की गई बल्कि रेलवे से समन्वय न होने पर की गई है. उन्होंने कहा था कि उस पुल को तोड़ने का कोई प्लान नहीं है.




