अटल बंधन है पाणिग्रहण संस्कार: स्वामी प्रणवपुरी
चरखी दादरी, (ब्यूरो): मानस मर्मज्ञ स्वामी प्रणवपुरी महाराज ने राम कथा में सरस अमृत वचनों की वर्षा करते हुए कहा कि पाणिग्रहण संस्कार का संबंध चिरकाल तक बना रहता है। पति-पत्नी का रिश्ता एक बार पवित्र बंधन में बंधने के बाद जन्म-जन्मांतर का माना जाता है। दादरी शहर की आदर्श धर्मशाला में मां दुर्गा सेवा दल द्वारा आयोजित श्री राम कथा में राम विवाह का सुंदर वर्णन करते हुए स्वामी प्रणवपुरी ने कहा कि अयोध्या और मिथिला नगरवासी इस भव्य समारोह को देखने के लिए उमड़ पड़े। माता सुनैना व राजा जनक ने चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ, गुरू वशिष्ठ, ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र सहित पूरी बारात की आगवानी की। वर बने राम और वधू के वेष में सीता ऐसे लग रहे थे, मानो बैकुंठ धाम से स्वयं भगवान नारायण अपनी भार्या देवी लक्ष्मी संग धरती पर अवतरित हो गए हों। दोनों का रूप अत्यंत मोहित कर देने वाला था। राजा जनक ने भी इस दिव्य विवाह के लिए ऐसा मंडप बनवाया, जो स्वर्ण, मोती, हीरे, मणि आदि से दमक रहा था। सभी देवी-देवताओं ने पुष्प वर्षा कर प्रसन्नता व्यक्त की। देवलोक के राजा इंद्र की पत्नी शचि, देवी रमा, उमा, शारदा तथा ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी रूप बदल कर इस विवाह में सम्मिलित हुए। कथा के दौरान राम-सीता की सुंदर झांकी निकाली गई। श्रद्घालुओं ने तिलक लगाकर तथा भेंट-पूजा अर्पित कर उनसे आर्शीवाद लिया।




