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जिस जॉर्ज सोरोस से कांग्रेस की मिलीभगत के आरोप लगाती है भाजपा, उसके खिलाफ ट्रंप ने क्यों कही एक्शन की बात

भारत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी लगातार अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस पर कांग्रेस से मिलीभगत के आरोप लगाती रही है. बीजेपी का कहना है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश करने वालों में जॉर्ज सोरोस भी शामिल हैं. अब यही जॉर्ज सोरोस अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भी निशाने पर आ गए हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अरबपति फाइनेंसर और डेमोक्रेटिक पार्टी को बड़ी रकम देने वाले डोनर जॉर्ज सोरोस और उनके बेटे पर RICO कानून (Racketeer Influenced and Corrupt Organizations Act) के तहत मुकदमा चलना चाहिए.

डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि, जॉर्ज सोरोस और उनका रेडिकल लेफ्टपंथी बेटा, अमेरिका भर में हिंसक प्रदर्शनों और कई और गड़बड़ियों को सपोर्ट करते हैं. इन्हें RICO के तहत सज़ा मिलनी चाहिए. इनके पागल वेस्ट कोस्ट वाले दोस्त भी शामिल हैं. सावधान रहो, हम देख रहे हैं!हालांकि उन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया.

सोरोस की संस्था ओपन सोसाइटी फाउंडेशन्स के प्रवक्ता ने ट्रंप के आरोपों को खारिज कर दिया है. संस्था की तरफ से कहा गया है कि ये आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं. हमारी संस्था कभी हिंसक प्रदर्शनों को सपोर्ट नहीं करती है. हमारा मकसद मानाविधकार, न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाना है.

सोरोस से ट्रंप को क्या दिक्कत है?

सोरोस, जो 95 साल के हैं लंबे समय से ट्रंप और उनकी कंजरवेटिव राजनीति के लिए खलनायक की तरह माने जाते हैं. उनकी संस्था ओपन सोसाइटी फाउंडेशन्स दुनिया की सबसे बड़ी परोपकारी संस्थाओं में से एक है, जो मानवाधिकार, पारदर्शिता, पब्लिक हेल्थ और शिक्षा जैसे कामों को फंड करती है.

अपने विरोधियों को टारगेट कर रहे ट्रंप

Reuters की खबर के मुताबिक ट्रंप इन दिनों राजनीतिक विरोधियों, मीडिया संगठनों और लॉ फर्म्स के खिलाफ मुकदमों और धमकियों का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने अपने पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन पर जांच की मांग की है. हाल ही में एफबीआई ने बोल्टन के घर पर राष्ट्रीय सुरक्षा जांच के सिलसिले में छापेमारी भी की.

इसी तरह ट्रंप ने अपने पुराने साथी और अब आलोचक बन चुके न्यू जर्सी के पूर्व गवर्नर क्रिस क्रिस्टी पर भी हमला बोला और कहा कि उनके खिलाफ 2013 के ब्रिजगेट मामले को फिर से खोला जाना चाहिए. उनके समर्थकों का कहना है कि यह ताकतवर लोगों को जवाबदेह ठहराने की कोशिश है, जबकि आलोचकों का मानना है कि यह असहमति की आवाज़ दबाने का खतरनाक तरीका है.

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