हरियाणा

चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेेंस में धमकी देकर पहले चोरी-फिर सीना जोरी की कहावत को चरित्रार्थ किया : लाल बहादुर खोवाल

चुनाव आयोग ने की देश के इतिहास की सबसे शर्मनाक प्रेस कांफ्रेंस, केद्रीय चुनाव आयुक्त की भाषा नेताओं जैसी : खोवाल

राहुल गांधी द्वारा दिए गए तथ्यों की जांच करने की बजाय, चुनाव आयोग उन्हें हल्फनामा देने और देश से माफी मांगने की धमकी दे रहा : खोवाल
हिसार, (ब्यूरो): हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट एवं पीसीसी डेलीगेट एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग की प्रेस कांफ्रेंस पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग की यह कांफ्रेंस राजनीति से प्रेरित थी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस प्रेस कांफ्रेंस में जिस भाषा व शब्दावली का उपयोग किया वह आयोग की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़े करने वाला है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसका दायित्व बनता है कि वह देश की जनता के समक्ष निष्पक्ष रूप से तथ्यों को प्रस्तुत करे लेकिन चुनाव आयोग केंद्र में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की शिकायत व तथ्यों पर कोई कार्यवाही करने की बजाय उन्हें ही हल्फनामा देने या देश से माफी मांगने की धमकी दे रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा इस तरह की भाषा व शब्दावली का इस्तेमाल करना बेहद गलत है। आयोग को केवल अपने तथ्य व बात रखनी चाहिए न कि वह अपने राजनीतिक फैसले सुनाए। इसके अलावा भी मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा खुद को देश के लोगों के साथ चट्टान की तरह खड़े होने की बात प्रेस कांफ्रेंस में की गई जिससे यह लग रहा था जैसे यह किसी संस्था की नहीं बल्कि कोई राजनीतिक प्रेस कांफ्रेंस है। एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि भारत के इतिहास की यह सबसे शर्मनाक और अनोखी प्रेस कांफ्रेंस थी जिसमें सीईसी ने संस्था की मर्यादाओं को तार-तार करने का काम किया है। चुनाव आयोग का वोटों या चुनाव के बारे में किसी भी प्रकार अनियमितता पर स्वत: लीगल कार्यवाही करने का काम होता है लेकिन आयोग सबूतों और आंकड़े उपलब्ध करवाने के बाद उसका जवाब देने की बजाय विपक्ष के नेता राहुल गांधी को ही हल्फनामा देने की धमकी और देश से माफी मांगने जैसी धमकी दे रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि चुनाव आयोग ‘पहले चोरी फिर सीनाजोरी’ जैसी कहावत को चरितार्थ कर रहा है। चुनाव आयोग के सीईसी ने कांफ्रेंस में जिस प्रकार की भाषा व शब्दावली का इस्तेमाल किया उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई नेता भाषण दे रहा है जिसमें वे राहुल गांधी को हल्फनामा देने व माफी मांगने की धमकी के साथ देश के लोगों व महिलाओं के साथ चट्टान की तरह खड़े रहने की बात कह रहे हैं। उन्हें इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने का अधिकार किसने दिया। चुनाव आयोग की एक मर्यादा होती है जिसे सीईसी ने तार-तार कर दिया है। लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक बॉडी है यदि आयोग को कोई शिकायत या आंकड़ा उपलब्ध नहीं भी करवाए और यदि आयोग के संज्ञान में किसी प्रकार की कोई अनियमितता आती है तो यह चुनाव आयोग का दायित्व है कि वह उसकी निष्पक्ष जांच कर इसे देश के समक्ष रखे लेकिन यहां तो आयोग विपक्षी दल के नेता को ही धमका रहा है। आयोग को जांच करनी चाहिए कि वोटर लिस्ट में इतना फर्जीवाड़ा हो गया उसकी वजह क्या है इसका आंकलन करना चाहिए। विपक्ष का काम तो आयोग को बार-बार आगाह करने का होता है। खोवाल ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक बॉडी है इसे राजनीतिक पचड़े में नहीं पडऩा चाहिए और निष्पक्ष होकर इसको चुनाव के बारे में वोटर के बारे में जानकारी उपलब्ध करवानी चाहिए जिसकी लिमिटेशन का कोई मामला नहीं है। इसके साथ ही चुनाव आयोग का यह भी दायित्व बनता है कि यदि आम जनता में चुनाव प्रक्रिया को लेकर किसी तरह का अविश्वास पैदा हो गया है तो वह अपने स्तर पर पूरी तरह से पारदर्शिता के साथ देश की जनता को सही जानकारी उपलब्ध करवाए और देश की जनता के विश्वास को इस संवैधानिक संस्था में कायम रखे। सही को सही बताना चुनाव आयोग की ड्यूटी बनती है और इसे पारदर्शी रखकर संस्था की गरिमा को कायम रखना उसका दायित्व है।

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