हरियाणा

पाकिस्तान युद्ध में 9 जाट के भूले हुए 82 अफसरों व जवानों के बलिदान की गाथा: ब्रिगेडियर आरए सिंह

भिवानी, (ब्यूरो): 9 जाट भारत फौज की गिनी चुन्नी यूनिटों में से एक है- खेल कूद का मैदान हो, ट्रेनिंग में मुकाबला हो या फिर लड़ाई का मैदान हो सब जगह अपना और देश का नाम ऊंचा किया है। 1971 पाक युद्ध में 9 जाट यूनिट ने छम सेक्टर के मनवर तवी नदी पर पाकिस्तान टैंको का सिर्फ अपने इन्फेंट्री हथियारों से डटकर मुकाबला किया। यूनिट के बहादुर जवानों ने पाकिस्तान के काफी टैंकों के बावजूद अपनी 7.62 राइफल के साथ पाकिस्तान का अखनूर पहुंचने का इरादा वहीं पर रोक दिया। 9 जाट को 10 इन्फैंट्री डिवीजन के और खेरू(श्रीनगर श्रीनगर से युद्ध में भाग लेने के लिए नवंबर में अखनूर आई थी। अचानक पाकिस्तान का हमला होने की वजह से 9 जाट को 3 दिसंबर 1971 को मनावर तवी पर डिफेंस पकडऩे के लिए लगा दिया गया, जो कि पाकिस्तान टैंगो के आने का रास्ता था। 9 जाट को सिर्फ 4-5 दिन ही मिले अपना डिफेंस तैयार करने के लिए। उनके पास ना तो कोई टैंक थे नाही टॉप खाने की कोई मदद थी। पाकिस्तान के टैंकों ने 10 दिसंबर की रात को 9 जाट पर हमला कर दिया। बाहर की कोई मदद न होने के बावजूद 9 जाट के बहादुर अफसर व जवानों ने पाकिस्तान फौज को आगे जाने से रोक दिया। पर इस बहादुरी के काम को पूरा करने में 9 जाट के 3 अफसर, 3 जेसीओएस और 76 जवान एक ही रात को शहीद हो गए। पर 9 जाट की इस बहादुरी की गाथा का फ़ौज के कमांडरों ने कोई संज्ञान नहीं लिया क्योंकि 9 जाट 10 इन्फेंट्री डीवीजन में बाहर से आई थी, जबकि बाकी मोर्चों पर, जहां ज्यादा कुछ नहीं हुआ उनको भी वीरता के मेडल से नवाजा गया। इस युद्ध में शहीद हुए लगभग 20 जवान तो भिवानी जिले के ही थे और बाकी शाहिद हरियाणा, यूपी, व राजस्थान के थे। गांव तिगड़ाना निवासी वीएसएम मैडल प्राप्त सेवानिवृत ब्रिगेडियर आरए सिंह ने बताया कि वे 1971 पाक युद्ध में 9 जाट में कैप्टन रैंक पर थे और वे यूनिट के एडजुटेंट भी थे। बाद में कर्नल रैंक पर वे 9 जाट के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) भी रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने 9 जाट की वीरता को उजागर करने क े लिए एक किताब लिखी है ताकि फौज के कमांडरों को भी पता चले की 9 जाट के शहीदों को उनका हक क्यों नहीं मिला। ब्रिगेडियर ने इससे पहले भी 16 किताबें लिखी हैं जोकि देश की विभिन्न लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं।

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