मध्यप्रदेश

MP में तबाही वाला मानसून, बाढ़ से अब तक 275 लोगों की मौत, 254 सड़कें-पुल ध्वस्त; 1600 जानवर भी मरे

मध्य प्रदेश इस समय भारी बारिश की चपेट में है, जिसके चलते हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक राज्यभर में 275 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से अधिकांश मौतें बिजली गिरने, पानी में डूबने और हादसों की वजह से हुई हैं. इस घटनाओं के बाद प्रशासन लगातार लोगों से नदी और नालों से दूर रहने की अपील कर रहा है. अब भी कई इलाकों में बारिश से जनहानि का खतरा बना हुआ है.

मध्य प्रदेश के बारिश के चलते लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इस सीजन में अब तक करीब 275 लोगों की मौत हो चुकी है. इस संबंध में सरकारी आंकड़े भी सामने आए हैं, जिनमें डिटेल तरीके से मौत के कारणों और मृतकों की संख्या के बारे में लिखा है. इन आंकड़ों से सभी को हैरान-परेशान कर दिया है. आइए जानते है कि क्या कहते हैं सरकारी आंकड़ों? क्या है प्रदेश में मौतों की सबसे बड़ी वजह?

जनहानि का आंकड़ा डराने वाला

राज्य में अब तक 275 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 61 मौतें बिजली गिरने से, 144 लोग नदी, नाले और जलभराव में डूबने से, 57 लोग सड़क हादसों में, तो वहीं 13 लोग दीवार और मलबा गिरने जैसे हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं. बीते 24 घंटे के भीतर भी प्रदेश में 3 लोगों की मौत हुई है. अशोकनगर जिले मेंकुएं में डूबने से एक और देवास और सीधी में नदी में डूबने से एक-एक मौत हुई है.
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पशु और मकान क्षति भी भारी

प्रदेश में बारिश के कारण जनहानि के साथ-साथ बड़े पैमाने पर पशु और मकानों को भी नुकसान पहुंचा है. भारी बारिश से अब तक 1,657 पशुओं की मौत हुई है. वहीं, 293 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं. इसके अलावा 3,687 मकानों को आंशिक क्षति पहुंची है. सबसे ज्यादा प्रभावि जिलों की बात करें तो ग्वालियर में 1 मकान पूरी तरह से और एक को आंशिक रुप से नुकसान पहुंचा है. साथ ही जबलपुर, मंडला, मंदसौर, रायसेन, राजगढ़, शहडोल और उमरिया जिले में दर्जनों मकानों को आंशिक रुप से नुकसान पहुंचा है. करीब 254 सड़कें-पुल भी ध्वस्त हो चुके हैं.

राहत शिविरों में शरण ले रहे लोग

अपना मकान खो चुके लोग और डेंजर जोन में रहने वाले लोगों के लिए प्रशासन ने 20 से अधिक राहत शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें हजारों लोग रह रहे हैं. मण्डला जिले में 3 शिविर बनाए गए हैं, जिनमें 230 लोग रह रहे हैं. गुना में 2 शिविर बने हैं, जहां 170 लोगों का डेरा है. खरगोन 8 शिविरों में 1384 लोग जीवन जीने को मजबूर हैं. दमोह के 5 शिविर में 1590 लोग हैं. इसके अलावा राजगढ़ में 1 शिविर में 30 लोग रह रहे हैं.

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