कहीं ट्रंप की इस चाल में फंस न जाए भारत, वरना चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत!

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत काफी तेज हो गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि भारत के साथ होने वाला यह समझौता इंडोनेशिया के साथ हुए उनके व्यापार करार जैसा हो सकता है. लेकिन इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि अगर ऐसा हुआ तो भारत के घरेलू उद्योगों, खासकर कृषि और डेयरी सेक्टर को नुकसान पहुंच सकता है. आइए, विस्तार से समझते हैं कि अगर ट्रंप, भारत पर भी इंडोनेशिया जैसा टैरिफ थोपते हैं तो भारत को कैसे और कितना नुकसान हो सकता है .
ट्रंप ने दिए इंडोनेशिया जैसे समझौते के संकेत
नवभारत टॉइम्स की एक रिपोर्टर के मुकाबिक ट्रंप ने हाल ही में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत के साथ व्यापार समझौता इंडोनेशिया मॉडल जैसा होगा. इंडोनेशिया ने अमेरिकी सामान को अपने बाजार में बिना किसी रोक-टोक के आने की छूट दी है. वहीं, इंडोनेशिया के सामान पर अमेरिका ने 19% टैक्स लगा दिया है. इसके अलावा, इंडोनेशिया ने अमेरिका से 15 अरब डॉलर की ऊर्जा, 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद और 50 बोइंग जेट खरीदने का वादा किया है. ट्रंप का कहना है कि भारत को भी इसी तरह का रास्ता अपनाना होगा, जिससे अमेरिकी सामान भारतीय बाजार में आसानी से बिक सकेंगे.
ट्रंप ने कहा, “भारत भी इस दिशा में काम कर रहा है. अब हमें भारत के बाजार में पहुंच मिलेगी. पहले हमारे लोग वहां नहीं जा पाते थे, लेकिन अब टैरिफ के जरिए हम ये मौका हासिल कर रहे हैं.” इसका मतलब साफ है कि अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी सामान के लिए पूरी तरह खोल दे.
वाशिंगटन में बातचीत कर रहा है भारतीय दल
भारत और अमेरिका के बीच इस समझौते को लेकर बातचीत का सिलसिला चल रहा है. भारतीय वाणिज्य मंत्रालय का एक दल इन दिनों वाशिंगटन में है. ये उनका पांचवां दौरा है. दोनों देशों के बीच कृषि, वाहन और अन्य सेक्टरों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो रही है. अमेरिका ने भारत समेत कई देशों पर लगाए गए अतिरिक्त टैक्स को 1 अगस्त तक के लिए टाल दिया है, जिसके चलते ये बातचीत और भी अहम हो गई है.
ट्रंप के एकतरफा समझौते से देश को होगा नुकसान
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने इस समझौते को लेकर चिंता जताई है. उनका कहना है कि अगर भारत ऐसा “एकतरफा” समझौता करता है, तो खासकर हमारे डेयरी और कृषि सेक्टर को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. अमेरिका के सामान बिना टैक्स के भारत में आसानी से बिकेंगे, लेकिन भारत के सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे. जब अमेरिका के सस्ते सामान यहां आ जाएंगे, तो देशी कंपनियों के उत्पादों की बिक्री पर भी बुरा असर पड़ेगा. इससे देश का पैसा बाहर जाएगा और हमारी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर होगा. साथ ही, देशी सामान की मांग कम होने से उनके दाम गिर सकते हैं, जिससे कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने चेतावनी दी है कि, “अगर भारत बिना किसी आपसी फायदा देखे जल्दबाजी में गलत समझौता करता है, तो ये स्थिति और भी खराब हो सकती है. भारत को बातचीत में पारदर्शिता बरतनी चाहिए और ऐसा कोई करार नहीं करना चाहिए जो लंबे समय में हमारे आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाए.”
किन मुद्दों पर अटकी है बात?
भारत और अमेरिका के बीच अभी कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है. अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी प्रोडक्ट्स पर टैक्स में छूट दे, लेकिन भारत ने डेयरी सेक्टर में अब तक किसी को भी ऐसी छूट नहीं दी है और इस बार भी इस मामले पर कड़ा रुख अपनाए हुए है. वहीं, भारत अमेरिका से कह रहा है कि वो अपने स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए 50% टैक्स और ऑटोमोबाइल पर 26% टैक्स को हटा दे. भारत ने ये भी साफ किया है कि अगर जरूरत पड़ी तो वो विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत जवाबी टैक्स लगाने का पूरा हक रखता है.
अमेरिका कुछ खास सेक्टरों में टैक्स छूट चाहता है, जैसे औद्योगिक सामान, इलेक्ट्रिक वाहन, शराब, पेट्रोरसायन, और डेयरी-एग्रीकल्चर प्रोडक्ट. वहीं भारत भी अपने अहम सेक्टरों के लिए टैक्स छूट मांग रहा है, जैसे कपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले. इन सेक्टरों में लाखों लोग काम करते हैं और ये हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी हैं. अगर इन सेक्टरों को नजरअंदाज किया गया, तो भारत को बड़ा नुकसान हो सकता है.
कब तक होगा समझौता?
दोनों देश इस साल सितंबर-अक्टूबर तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को पूरा करने की कोशिश में हैं. इससे पहले एक अंतरिम समझौते की बात भी चल रही है. यानी, पहले एक छोटा समझौता हो सकता है, जिसके बाद बड़ा करार होगा. लेकिन, भारत को सतर्क रहना होगा ताकि कोई ऐसा समझौता न हो, जो उसके हितों को नुकसान पहुंचाए.
भारत को सतर्क रहने की जरूरत
भारत और अमेरिका के बीच ये समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है, बशर्ते इसे सोच-समझकर किया जाए. भारत को अपने घरेलू उद्योगों, खासकर छोटे किसानों और डेयरी सेक्टर की रक्षा करनी होगी. अगर भारत अमेरिका की शर्तों पर समझौता करता है, तो भारतीय बाजार में सस्ते अमेरिकी सामान की बाढ़ आ सकती है, जिससे स्थानीय उद्योगों को नुकसान होगा.