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ट्रेड डील से पहले भारत की अमेरिका पर बड़ी जीत, सिर्फ देखते रह गए ट्रंप

भारत के साथ ट्रेड डील से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी करेंसी करेंसी डॉलर को बड़ा झटका लगा है. जहां डॉलर कई महीनों के लोअर लेवल पर पहुंच गया है, वहीं दूसरी ओर भारत के रुपए को बड़ी जीत हासिल हुई है. रुपए में डॉलर के मुकाबले में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. जानकारों की मानें तो डॉलर इंडेक्स के नीचे जाने और कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट की वजह से रुपए में इजाफा देखने को मिला है. आने वाले दिनों में रुपए में और भी ज्यादा तेजी देखने को मिल सकती है. उसका काराण भी है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से महंगाई के आंकड़े बेहतर रह सकते हैं. जिसकी वजह से रुपए को सपोर्ट मिलता हुआ​ दिखाई सकता है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर करेंसी मार्केट में रुपए को बड़ी जीत को लेकर किस तरह के आंकड़े देखने को मिल रहे हैं.

रुपया मंगलवार को शुरुआती कारोबार में 42 पैसे की बढ़त के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.34 पर पहुंच गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि अमेरिकी डॉलर के कई महीने के निचले स्तर पर पहुंचने और घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख से रुपए को बल मिला. विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि विदेशी बाजार में अमेरिकी डॉलर सूचकांक कमजोर हुआ क्योंकि फेडरल रिजर्व पॉलिसी पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बढ़ते प्रभाव ने केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता पर आशंकाओं को फिर से जगा दिया. इसके अलावा, ब्रेंट क्रूड की कीमतें कम रहीं, जिससे भारत के आयात बिल को बफर मिला और मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिली. इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया, डॉलर के मुकाबले 85.66 पर खुला. शुरुआती कारोबार में 85.34 प्रति डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले बंद भाव से 42 पैसे की बढ़त दर्शाता है. रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.76 पर बंद हुआ था.

क्यों गिरा डॉलर?

इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.17 प्रतिशत गिरकर 96.71 पर आ गया. ताजा राजनीतिक शोर से अमेरिकी डॉलर इंडेक्स कई महीनों के निचले स्तर 96.614 पर पहुंच गया. सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी ने कहा कि फेडरल रिजर्व नीति पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बढ़ते प्रभाव – जिसमें फेड चेयर पॉवेल को बदलने की योजना भी शामिल है – ने निवेशकों को बेचैन कर दिया है और सेंट्रल क की स्वतंत्रता को लेकर आशंकाओं को फिर से जगा दिया है. इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड ऑयल 0.24 फीसदी गिरकर 67.61 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. पबारी ने कहा कि कमजोर घरेलू आंकड़ों, इक्विटी आउटफ्लो और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आने वाले दिनों में 86-86.50 की ओर पलटाव के साथ USDINR जोड़ी को 85.20-85.40 के आसपास मजबूत समर्थन मिलने की उम्मीद है.

शेयर बाजार में मामूली तेजी

इस बीच, घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 200.92 अंक या 0.24 फीसदी बढ़कर 83,807.38 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 57.85 अंक या 0.23 प्रतिशत बढ़कर 25,574.90 पर पहुंच गया. एक्सचेंज डेटा के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को शुद्ध आधार पर 831.50 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. सोमवार को जारी आधिकारिक डेटा के अनुसार, मानसून की समय से पहले शुरुआत के कारण विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण मई 2025 में भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि नौ महीने के निचले स्तर 1.2 प्रतिशत पर आ गई. केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा मई के अंत में पूरे साल के लक्ष्य का 0.8 प्रतिशत रह गया, जिसका मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त 2.69 लाख करोड़ रुपए का डिविडेंड है.

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