सीबीआई कोर्ट ने जिस बाबू खान को सुनाई थी उम्रकैद की सजा, हाई कोर्ट ने दी जमानत..श्रवण हत्याकांड में बड़ा फैसला

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हाई प्रोफाइल श्रवण हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक बड़ा फैसला दिया है. हत्याकांड के दोषी बाबू खान को जमानत दे दी है. कोर्ट ने समानता के आधार पर खान की जमानत बढ़ाई. कोर्ट ने देखा है कि दूसरे आरोपी अजय पटेल को 21 अप्रैल 2025 को जमानत दी गई थी. उस समय कोर्ट ने पाया था कि अभियोजन पक्ष साहू की हत्या की साजिश रचने के लिए पटेल के खिलाफ कोई भी प्रथम दृष्टया सबूत पेश करने में विफल रहा है.
सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने बिजनेसमैन श्रवण साहू की हत्या की कथित साजिश रचने के आरोप में 22 अगस्त 2024 को खान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और 1.10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था. निचली अदालत ने मामले में आठ लोगों को दोषी ठहराया था. पिछले साल बाबू खान ने दोषी सिद्ध होने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामले को चुनौती दी थी और इस साल 24 जून को वेकेशन बेंच ने उनकी जमानत याचिका को मंजूरी दे दी थी.
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, 2017 में साहू की हत्या 2013 में शुरू हुई हिंसक घटनाओं की एक चैन का परिणाम थी. इस हत्याकांड की कहानी की शुरुआत 16 अक्टूबर 2013 से हुई. हुआ यूं कि श्रवण के बेटे आयुष साहू का लखनऊ के हजरतगंज में एक बार में बीयर खरीदने को लेकर मुख्य आरोपी अकील अंसारी से विवाद हो गया.
ये विवाद बढ़ता चला गया और अकील ने अपने साथियों के साथ मिलकर आयुष की हत्या कर दी. बाद में अकील अंसारी को दोषी ठहराया गया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. श्रवण साहू ने अपने बेटे के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी और वह इस मामले में एक प्रमुख गवाह था. श्रवण के लगातार कानूनी मामलों में उलझे रहने के कारण उसे कड़ी सजा मिलने के डर से अकील ने उसे खत्म करने की साजिश रची.
इसके बाद 1 फरवरी 2017 को श्रवण की दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने हत्या कर दी. जिस समय श्रवण पर गोलियां चलाई गई थीं उस समय वह लखनऊ के बड़ा चौराहा दालमंडी में अपनी तेल की दुकान के काउंटर पर बैठे हुए थे. हमलावर कई राउंड फायरिंग करने के बाद मौके से भाग गए. श्रवण को ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. श्रवण के दूसरे बेटे सुनील साहू ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें अकील को दोनों हत्याओं का मास्टरमाइंड बताया गया. सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली और मुकदमे के दौरान 51 गवाह और 100 से अधिक दस्तावेज पेश किए.