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स्केच गलत कैसे हो गया? ‘सामना’ में पहलगाम हमले को लेकर सरकार पर उठे सवाल

शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने अपने मुखपत्र सामना में पहलगाम हमले के आतंकवादियों के स्केच को लेकर सरकार को घेरा है. संपादकीय में सरकार से कई सवाल पूछे गए. दरअसल, पत्र में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए 22 अप्रैल के हमला के बाद आतंकवादियों के तीन स्केच जारी हुए थे. लेकिन हाल ही में एनआईए की जांच में सामने आया है कि वो स्केच गलत थे. इसी को लेकर अब उद्धव गुट की शिवसेना ने सरकार को घेरने का काम किया है.

संपादकीय में कहा गया,एक कहावत है, रस्सी को सांप समझकर पीटना. पिछले दो महीनों में पहलगाम आतंकी हमले और क्रूर हत्याकांड की सरकारी जांच की स्पीड भी इस कहावत से मिलती-जुलती नजर आ रही है. 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकियों ने 25 पर्यटकों और एक स्थानीय कश्मीरी युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था.

गलत स्केच को लेकर उठाए गए सवाल

पत्र में कहा गया, हमले के 48 घंटे के अंदर ही केंद्र सरकार ने आनन-फानन में पहलगाम हमले में शामिल 3 हमलावरों के स्केच जारी कर दिए थे. यह दिखाने के लिए कि मोदी सरकार ने किस तरह फटाफट आतंकियों की पहचान की, ये स्केच तुरंत सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड किए गए और सरकार की खूब वाहवाही हुई. इन तीनों आतंकियों के ये स्केच हिंदुस्तान समेत दुनियाभर के मीडिया में छाए रहे. इन स्केच के आधार पर पिछले दो महीनों से पहलगाम के इन अपराधियों की तलाश चल रही थी.

सरकार पर किया तीखा हमला

पत्र में सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा गया. राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ताजा जांच में यह बात सामने आने के बाद कि स्केच में दिख रहे तीनों आतंकियों में से किसी का भी पहलगाम हत्याकांड से कोई संबंध नहीं है, सरकार की बड़ी फजीहत हुई है. दो महीने पहले जारी किए गए तीन आतंकियों के स्केच का पहलगाम हत्याकांड से कोई संबंध नहीं है. अब एनआईए ने ही कहा है कि पहले जारी किए गए स्केच गलत थे और असली तीनों हमलावर अलग ही हैं. आदिल हुसैन थोकर नामक कश्मीरी और अली बही उर्फ तल्हा और हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान नामक दो पाकिस्तानी नागरिकों के स्केच लेकर जांच एजेंसी पिछले 60 दिनों से उनका पता लगाने के लिए खून-पसीना एक कर रही थी.

“2 महीने की मेहनत हुई बेकार”

इसी के साथ विदेश मंत्री पर अटैक करते हुए कहा गया है कि इतना ही नहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खुद एक अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में जानकारी दी थी कि इस स्केच के आधार पर आतंकवादियों की पहचान कर ली गई है. वो सब अब झूठ साबित हो गया है. क्योंकि यह साफ हो गया है कि स्केच में दिखाया गया कोई भी व्यक्ति पहलगाम में हुए हत्याकांड में शामिल नहीं था. इसलिए पहलगाम हमले की पूरी जांच, जांच की दिशा और दो महीने की मेहनत बेकार चली गई.

संपादकीय में सरकार पर निशाना साधते हुए आगे कहा गया, ऐसे वक्त में जब पहलगाम हत्याकांड से पूरा देश आक्रोशित था और यह साफ था कि इस घटना का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर होगा, सरकार की ओर से जांच और जांच के सटीक विवरण की घोषणा में जो जल्दबाजी की गई वो एक जिम्मेदार देश के लिए अशोभनीय है. पहलगाम हमले के असली अपराधियों का खुलासा तब हुआ जब एनआईए ने हाल ही में दो कश्मीरियों परवेज अहमद जोथर और वसीर अहमद जोथर को गिरफ्तार किया.

पत्र में यह भी कहा गया है कि जांच में सामने आई नई जानकारी के अनुसार, हमलावर पाकिस्तानी मूल के थे. लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों ने पहलगाम हमले को अंजाम दिया. उनमें से एक का नाम सुलेमान शाह है. पहलगाम निवासी दो कश्मीरी परवेज और बशीर ने तीनों आतंकवादियों को अपने घरों में पनाह दी थी और उनके लिए खाने-पीने का इंतजाम किया था. दोनों ने इस बात को कबूला है कि आतंकवादियों ने उन्हें चुप रहने के लिए पैसे दिए थे. उन दोनों से पूछताछ से पहलगाम हमले के पीछे की सच्चाई और हमले में पाकिस्तान का हाथ होने का पता जरूर चलेगा.

“देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाला”

संपादकीय में सवाल उठाते हुए पूछा गया, अगर पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की भीषण हत्या करने वाले आतंकवादियों का दो महीने पहले जारी किया गया स्केच पूरी तरह से गलत है तो यह न सिर्फ सरकार की फजीहत है, बल्कि देश की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचाने वाला है. पहले बताए गए आतंकवादी असली नहीं हैं, बल्कि पहलगाम के असली तीन पाकिस्तानी हमलावर अलग-अलग आतंकवादी हैं, यह एनआईए की ओर से किया गया अचंभित करने वाला खुलासा है.

“गंभीर गलती किसके चलते हुई?”

सरकार को घेरते हुए कहा गया, जिस लापरवाही के साथ सरकार ने यह दिखाने के नाम पर कि वो कितनी तेजी से काम कर रही है, बिना उचित जांच और सत्यापन के गलत स्केच दुनिया के सामने जारी किया है, वो , क्षोभ पैदा करनेवाला है. अगर सरकार अब पहलगाम के असली अपराधियों तक पहुंच रही है तो यह अच्छी बात है, लेकिन गलत स्केच जारी करने की गंभीर गलती किसके चलते हुई? किसने की? क्या इसके पीछे सुरक्षा बलों को गुमराह करने का इरादा था? इसकी भी अब जांच होनी चाहिए.

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