जगन्नाथ रथ की रस्सी का क्या है नाम और इसे कौन खींच सकता है? जानें इसका धार्मिक महत्व

जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू हो जाएगी. इस दौरान देश-दुनिया से भक्त जगन्नाथ पुरी धाम पहुंचते हैं. इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बल भद्र और बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं और इसके बाद अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाते हैं. जगन्नाथ भगवान के साथ ही बल भद्र और सुभद्रा जी के रथ को यात्रा के दौरान भक्त खींचते हैं. इस यात्रा के दौरान इतनी भीड़ होती है कि रस्सी को छूना कई लोगों के लिए कठिन हो जाता है. हालांकि, इस रथ यात्रा के दौरान रथ की रस्सी खींची जाती है और इस रस्सी को छूना बहुत शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं कि जगन्नाथ रथ यात्रा की रस्सी का क्या नाम है और इसे छूने से क्या होता है.
रथ यात्रा में रस्सी का क्या नाम है?
जिस तरह भगवान जगन्नाथ, बल भद्र और सुभद्रा के इन तीनों रथों के नाम अलग-अलग होते हैं. ठीक उसी तरह, उन्हें खींचने वाली रस्सियों के नाम भी अलग-अलग होते हैं. भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले नंदीघोष रथ की रस्सी को शंखचूड़ या शंखचूड़ा नाड़ी कहा जाता है. वहीं, 14 पहियों वाले बल भद्र के रथ की रस्सी को बासुकी कहा जाता है. बीच में चलने वाले 12 पहियों के रथ की रस्सी को स्वर्णचूड़ा नाड़ी कहते हैं.
जगन्नाथ रथ की रस्सी खींचना
जगन्नाथ रथ की रस्सी को कौन छू सकता है?
जगन्नाथ रथ की रस्सी को कोई भी व्यक्ति छू सकता है, जो आस्था के साथ पुरी पहुंचता है. फिर चाहे वह किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या पंथ का हो. धार्मिक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति रथ की रस्सियों को पकड़कर खींचता है, उसे जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
जगन्नाथ रथ की रस्सी को छूने से क्या होता है?
इस रथ यात्रा में शामिल हर भक्त रथ की रस्सी को छूने के लिए लालायित रहता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, रथ की रस्सी को छूने से भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है. इसके अलावा, ऐसा कहते हैं कि जगन्नाथ रथ की रस्सी को छूने मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होता है. ऐसा माना जाता है कि अगर आप रथ की रस्सी को छुए बिना घर लौटते हैं, तो आपका यात्रा में शामिल होना सफल नहीं होता है.
जगन्नाथ रथ यात्रा की रस्सी को छूना अत्यंत लाभकारी और पुण्यदायी माना है. ऐसा कहा जाता है कि रथ की रस्सी को छूना पापों को शुद्ध करता है और भक्तों को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त कराता है. ऐसे में इस रथ यात्रा में शामिल होने और रथ की रस्सी छूने से जीवन में सौभाग्य का आगमन होता है.