भिवानी के नंदगांव निवासी साईकलिस्ट नरेंद्र यादव बने पर्यावरण प्रहरी 18 हजार किलोमीटर साईकिल यात्राएं कर दे चुके पर्यावरण संरक्षण, आपसी भाईचारे व सैनिकों को प्रोत्साहन का संदेश
अब तक बाघा बॉर्डर, नेपाल के काठमांडू, द्वारका, पोरबंदर, यूनिटी ऑफ स्टैच्यू, महाकुंभ सहित दर्जनों यात्राएं साईकिल पर करने में है माहिर युवाओं व आमजन के लिए साईकलिस्ट नरेंद्र बने प्रेरणा स्त्रोत

भिवानी, (पवन शर्मा): पर्यावरण संरक्षण व मानव कल्याण की भावना को अपने मन में लेकर हजारों किलोमीटर की यात्रा करने वाले भिवानी जिला के नंदगांव निवासी 53 वर्षीय साईकलिस्ट नरेंद्र यादव पिछले 9 वर्षो से अपने संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे है। वे अब तक देश के विभिन्न हिस्सों में सभी राज्यों में एकता, भाईचारे व पर्यावरण का संदेश देने के लिए 18 हजार किलोमीटर साईकिल यात्रा कर चुके है। उन्होंने अपने गांव नंदगांव से अमरनाथ तक की 2200 किलोमीटर तक की यात्रा 23 जुलाई तक पूरा करने फिर से यात्रा शुरू की है। इस दौरान वे अपने रास्ते में पडऩे वाले विभिन्न स्थानों पर रूक-रूककर पर्यावरण संरक्षण व मानव कल्याण संबंधी बातों का प्रचार करेेंगे।
अपनी यात्रा के दौरान भिवानी पहुंचे साईकलिस्ट नरेंद्र यादव ने बताया कि एक व्यक्ति अपने जीवन में 15 पेड़ों की लकड़ी को कम से कम खर्च करता है। ऐसे में उसका दायित्व भी बनता है कि वह अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, ताकि हमारा पर्यावरण व प्रकृति संरक्षित रह सकें। इसी उद्देश्य से वे पिछले 9 वर्षो के दौरान विभिन्न साईकिल यात्राएं कर लोगों को संदेश देते है। इस दौरान वे अपने कपड़े, बिस्तर व अन्य जरूरी सामान साईकिल पर साथ ही रखते है। अब तक वे वर्ष 2022 में कश्मीर से कन्याकुमारी, नंदगांव से बाघा बॉर्डर, भिवानी से नेपाल के काठमांडू, द्वारका, पोरबंदर, सोमनाथ, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, वाराणसी, कोलकत्ता, जगन्नाथपुरी, गंगासागर सहित चारों धामों की यात्रा पूरी कर चुके है। वे पर्यावरण व भाईचारे का संदेश देने के साथ ही शरीरदान की बात भी कहते है कि उन्होंने अपना भी शरीरदान करवाया हुआ है। वे पिछले 9 वर्षो से अपने गांव में ही सैंकड़ों पेड़ लगा चुके हैं। वे वर्ष 2021 में चांदी के वर्क चढ़ी ईंट अयोध्या के राम मंदिर में साईकिल यात्रा के दौरान जाकर भेंट कर चुके है। गौरतलब है कि पर्यावरण संरक्षण, मानव कल्याण व सैनिकों का हौंसला बढ़ाने के कार्य को करने के लिए साईकलिस्ट नरेद्र यादव अपनी लंबी यात्राओं के माध्यम से अकेले यात्रा कर जो संदेश देते है, वह काबिले-तारीफ है। इससे देश के युवा व साधारण व्यक्ति ना केवल प्रभावित होते है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर वे खुद भी पेड़ लगाने के प्रति प्रेरित होते है।