धर्म/अध्यात्महरियाणा

ऊं राधे मम्मा आजीवन त्याग और तपस्या की मूरत बनकर रही: बीके रजनी

भिवानी, (ब्यूरो): ब्रह्माकुमारी संस्था की प्रथम मुख्य प्रशासिका ऊं राधे (जिन्हें सभी मातेश्वरी जगदम्बा और मम्मा के नाम से बुलाते हैं ) के 60वीं पुण्य तिथि की स्मृति में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय दिव्य भवन रुद्रा कालोनी भिवानी की शाखा संचालिका बीके रजनी ने श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि मातेश्वरी जी ने मात्र 16 वर्ष की आयु में ही कलयुग अंत और सतयुग आदि के संगम में इस धरा पर अवतरित हुए परमपिता परमात्मा को पहचान अपना जीवन परमार्थ के लिए समर्पित कर दिया। उनका कहना था कि हर घड़ी अंतिम घड़ी है, अगर हम यह स्लोगन ध्यान में रखते हुए हर कर्म करन-करावनहार परमपिता परमात्मा की याद में करें तो हम सोच समझकर हर कर्म करेंगे, हमारे हाथों विकर्म, कुकर्म होने से बच जाएंगे और हमारा हर कर्म सुकर्म बनता जाएगा , दूसरों के लिए भी प्रेरणादाई बन जाएगा। जब हम सबके कर्म सुकर्म होंगे तो हर घर स्वत: ही मंदिर बन जाएगा। मातेश्वरी जी आजीवन त्याग और तपस्या की मूरत बनकर रहे। वे गंभीर और अंतर्मुखी होने के साथ-साथ रमणीक और मिलनसार भी थे। इस अवसर पर मीडिया प्रभारी बीके सुभाष गोयल, बीके किरण, बीके ममता, बीके राजकुमार सहित अन्य उपस्थित रहे।

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