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FMCG नहीं, अब फार्मिंग और हेल्थ में भी चमक रही है पतंजलि की पहचान

जब कभी भारत में स्वदेशी और आयुर्वेद की बात होती है, तो बाबा रामदेव की पतंजलि का नाम सबसे पहले आता है. लेकिन पतंजलि अब सिर्फ टूथपेस्ट, शैंपू और आटा जैसी FMCG चीज़ों तक सीमित नहीं है. आज यह कंपनी जीवन के हर पहलू को छूने की कोशिश कर रही है चाहे वो शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, या फिर कृषि और पर्यावरण.

आयुर्वेद से आत्मनिर्भरता तक

पतंजलि ने अपने शुरुआती दौर में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स के जरिए बाजार में पैर जमाया. धीरे-धीरे, इसने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक मार्केटिंग के साथ जोड़ते हुए FMCG सेक्टर में एक अलग पहचान बनाई. लेकिन अब कंपनी की नजर उस विरासत पर है, जो सिर्फ मुनाफे पर नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को लाभ पहुंचाने पर टिकी हो.

शिक्षा और संस्कार का संगम

पतंजलि योगपीठ और इससे जुड़े शिक्षण संस्थानों में आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक भारतीय ज्ञान को साथ पढ़ाया जाता है. पतंजलि गुरुकुल, पतंजलि विश्वविद्यालय और वेद-पाठशालाएं इस दिशा में अहम भूमिका निभा रही हैं. इन संस्थानों में विद्यार्थियों को सिर्फ डिग्री ही नहीं, संस्कृति, संस्कार और सेवा की भावना भी दी जा रही है.

आयुर्वेदिक हेल्थ सिस्टम का विस्तार

पतंजलि आयुर्वेदिक अस्पताल और रिसर्च सेंटर न केवल देशभर में रोगियों का इलाज कर रहे हैं, बल्कि आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद के बीच एक सेतु का काम भी कर रहे हैं. यहां परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के साथ नई रिसर्च को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.

किसानों के लिए बदलाव की राह

पतंजलि ने खेती के क्षेत्र में जैविक कृषि को प्रोत्साहन दिया है. किसानों को केमिकल-फ्री खेती की ट्रेनिंग देना, जैविक खाद और बीज उपलब्ध कराना, और उनकी उपज को बाजार तक पहुंचाने में मदद करना इसके मुख्य उद्देश्य हैं. कंपनी का दावा है कि इससे लाखों किसानों की आमदनी में सुधार हुआ है.

पर्यावरण और आत्मनिर्भर भारत की ओर

पतंजलि अपने प्लांट्स में सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण संरक्षण को भी ध्यान में रखती है. साथ ही, स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया विजन के तहत लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर भी जोर दिया गया है.

पतंजलि अब केवल एक FMCG ब्रांड नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन का रूप ले चुकी है. इसका उद्देश्य न सिर्फ भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करना है, बल्कि हर भारतीय के जीवन को बेहतर बनाना भी है. स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, कृषि और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में इसकी सक्रियता यह साबित करती है कि पतंजलि अब एक बिजनेस नहीं, बल्कि एक मिशन है.

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