प्रतिनिधि संस्कृति पर रोक के लिए भिवानी की महिला अधिवक्ताओं की पहल
महिला अधिवक्ताओं ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

भिवानी, (ब्यूरो): महिला नेतृत्व को वास्तविक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ताश्मिता मेमोरियल ट्रस्ट भिवानी की अध्यक्षा अधिवक्ता मीना जांगड़ा के नेतृत्व में महिला अधिवक्ताओं ने राष्ट्रपति को भिवानी के तहसीलदार के माध्यम से एक ज्ञापन भेजा। यह ज्ञापन रीट पीटिशिन (सिविल) नंबर-615/2023 में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश और पंचायत राज मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के संदर्भ में तैयार किया गया है। ज्ञापन में ताश्मिता मेमोरियल ट्रस्ट भिवानी की अध्यक्षा अधिवक्ता मीना जांगड़ा ने कहा कि महिलाओ के लिए आरक्षित पदों पर उनके पतियों या परिजनों द्वारा कार्य करने की प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व प्रवृत्ति पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है। अधिवक्ता मीना जांगड़ा ने कहा कि पंचायतों के साथ-साथ नगर परिषदों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों में भी यह प्रवृत्ति तेजी से फैल रही है, जिससे महिला जनप्रतिनिधियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। ज्ञापन के माध्यम से प्रस्तावित कानून को केवल ग्राम पंचायतों तक सीमित न रखते हुए शहरी स्थानीय निकायों पर भी समान रूप से लागू किया जाए, महिलाओं को नेतृत्व, प्रशिक्षण एवं डिजिटल उपस्थिति की निगरानी जैसे सशक्तिकरण उपाय शहरी निकायों में भी सुनिश्चित किए जाए, प्रॉक्सी प्रतिनिधियों के विरुद्ध कठोर दंड का प्रावधान और शिकायत की स्पष्ट व्यवस्था स्थापित की जाए। अधिवक्ता मीना जांगड़ा ने कहा कि राष्ट्रपति जो खुद एक सशक्त महिला हैं, के माध्यम से हमने भारत सरकार से यह मांग रखी है कि प्रस्तावित कानून में शहरी निकायों में भी प्रतिनिधि संस्कृति को गैर क़ानूनी घोषित किया जाए। अधिवक्ता मीना जांगड़ा ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे इस विषय पर संज्ञान लेत तथा संबंधित मंत्रालयों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें, जिससे महिलाओं को उनके चुने हुए पदों पर स्वतंत्र और प्रभावी ढंग से कार्य करने का अवसर मिले। इस मौके पर अधिवक्ता मंजू शर्मा, अधिवक्ता राजेश बागोतिया, अधिवक्ता रीतू रानी, अधिवक्ता रीतू शर्मा, अधिवक्ता पूनम जागलान, अधिवक्ता मुकेश ढाणीमाहू, अधिवक्ता कोमल तंवर, अधिवक्ता अनीता बागड़ी और अधिवक्ता सोनू भी साथ रहे।