हरियाणा

कच्चे शैड से आया गेहूं सडक़ों पर, मार्केट कमेटी की व्यवस्थाओं की खुली पोल: सिंधू

भिवानी, (ब्यूरो): शायद इस बार सरकारी एंजेसियों को गेहूं की खरीद से मन भरा गया है। इस बात का अंदाजा तो गेहूं की खरीद व्यवस्थाओं से लगता है। क्योंकि प्रशासन ने इस तरह की एजेंसियों को गेहूं खरीदने की अनुमति दे दी,जिनके पास न तो कोई पक्के चबूतरे की व्यवस्था थी और न ही बिछाने व गेहूं को ढकने के लिए तिरपाल की सुविधा थी। शुक्रवार अल सुबह आई तूफानी बारिश ने मंडी के बाहर कच्चे व खुले में पड़े गेहूं को पूरी तरह से भिगो दिया। यहां तक तक लिफ्टिंग ने किए गए बैग भी बारिश में तर बतर हो गए। अब खरीद एजेंसी के संचालक बैगों को कच्ची भूमि से उठवा कर सीमेंट की बनी सडक़ पर डाल रहे है। हैरानी की बात यह है कि जहां पर बैग खेालकर डाले गए है। उसी रास्ते से बाइक व अन्य वाहन गुजर रहे है। ऐसे में उस गेहूं की गुणवता बच पाना नाममुकिन है। साथ ही जिस सडक़ पर गेहूं के खोलकर बैग डाले गए है। वहां पर न तो कोई तिरपाल आदि बिछाया गया है। जब इन बैगों को दोबारा भरा जाएगा तो सडक़ पर जमा रेत मिट्टी व पक्की छोटी रोडिय़ां भी गेहूं के दानों के साथ बैगों में पैक हो जाएगी। जो कि बाद में राशन डिपो, स्कूलों में मीड डे मिल के लिए तथा उसी गेहूं को गरीबों के लिए भेजा जाएगा। जो यह गेहूं पैक होगा। लगता है वह गेहूं खाने के लायक नहीं बच पाएगा। यहां यह बताते चले कि अगर एक बार गेहूं भीग गया और दो तीन दिनों तक नमी बरकरार रही तो उसकी गुणवता ही नहीं बल्कि वह काला पडऩे लगेगा। जिसका टेस्ट भी बदल जाएगा। फिलहाल जिस हाल में मंडी में गेहूं पड़ा है, वह पूरी तरह मार्केट कमेटी की व्यवस्थाओं पर चोट है।
बताया जाता है कि किसान अपने सम्पर्क के आढती या खरीद करवाने वाले एजेंट के माध्यम से मंडी या खरीद केंद्र पर गेहूं डाल देता है। उसके बाद उस गेहूं की सफाई, बैगों में भरवाई तथा बैगों की लिफ्टिंग करवाए जाने का कार्य खरीद करवाने वाले एजेंट का होता है। अगर उसमें कोई गड़बडी(ज्यादा नमी, सफाई की कमी, बारिश आदि में ढकवाने की जिम्मेदारी ) की भी जिम्मेदारी उसी की होती है। बीते दिवस बारिश में गेहूं भीग गया,उसमें ज्यादा नमी बन गई। इनके साथ मंडी में पहुंचा गेहूं डलवाने से लेकर वेयर हाऊस में भिजवाने तक की सह जिम्मेदारी मार्केट कमेटी की भी होती है। क्योंकि मंडी में जो गेंहू पहुंचा है। उसके लिए शैड, पक्का चबूतरा व तिरपाल आदि की जैसे तैसे व्यवस्था करवाने की भी जिम्मेदारी प्रशासन की होती है,लेकिन किसी ने भी इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। जिस वजह से गेहूं की मंडियों में बेकद्री हो रही है।
मार्केट सोसयटी के पूर्व निदेशक एवं हरियाणा जागृति मोर्चा के अध्यक्ष राजेश सिंधू ने शनिवार को अनाजमंडी का निरीक्षण किया और मजदूरों से भीगे गेहूं की जानकारी ली। पूरी जानकारी हासिल करने के बादराजेश सिंधू ने बताया कि फसलों की सरकारी खरीद से पहले अनाजमंडियों व खरीद केंद्रों पर पक्के चबूतरे बनवाए जाने चाहिए। साथ ही मंडियों में अतिरिक्त शैडों का निर्माण होना चाहिए। ताकि मौसम खराब होने पर फसलों को वहां पर डाला जा सके,लेकिन बवानीखेड़ा का स्थानीय विधायक होने के बाद मंडी में गेहूं की बेकद्री हुई है। इससे साफ जाहिर है कि जन प्रतिनिधि इस तरफ कोई ध्यान ही नहीं दे रहा। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जो गेहूं मंडियों में भीगा है। उस गेहूं को सही ढंग से पक्के प्लेटफार्म या तिरपाल आदि पर डाल सुखाए। निर्धारित नमी रहने पर ही उसको दोबारा बैगों में भरवाया जाए। ताकि गरीबो को दिया जाने वाला गेहूं की गुणवता बच सके।
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बरसात के पानी में भीगा अनाजमंडी में खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ गेंहू, मंडी का दौरा करते हुए मार्केट सोसयटी के पूर्व निदेशक एवं हरियाणा जागृति मोर्चा के अध्यक्ष राजेश सिंधू।

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