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देश में विकसित हो रही खेल संस्कृति, हर जिले में खुलेगा स्पोर्ट्स स्कूल- मनसुख मंडाविया

केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को टीवी9 गुजराती के ‘व्हाट गुजरात थिंक्स टुडे’ कार्यक्रम में शिक्षा के साथ-साथ खेल पर भी कई सारी बातें कीं. उन्होंने कहा कि शिक्षा की तरह खेल भी बच्चों के विकास के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं. मंडाविया ने कहा कि हमारे देश में खेलों के अवसर बढ़ रहे हैं. भारत में युवाओं की सबसे बड़ी संख्या होने के कारण, देश में खेल संस्कृति विकसित हो रही है. उस समय देश में खेलों के प्रति लोगों का नजरिया बदला है. पहले जहां माता-पिता अपने बच्चों को सिर्फ पढ़ाई के लिए प्रेरित करते थे, वहीं अब माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब खेलों में भी नौकरियां दी जा रही हैं, इसलिए अब युवाओं को खेल के साथ-साथ नौकरियों का भी लाभ मिलेगा और यहीं से उनका आगे विकास होगा. उन्होंने कहा कि मोदी जी ने विकास पर जोर दिया है. हम एक विकासित देश बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खेलों के लिए भी एक विजन तय किया है. अनुसंधान, रोजगार और उद्योग के साथ-साथ खेल भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं. पीएम मोदी ने 2047 के लिए रोडमैप बनाया है, जिसका एक हिस्सा खेल भी है.

खेल सिर्फ उत्साह या मनोरंजन का जरिया नहीं

उन्होंने कहा कि खेल सिर्फ उत्साह या मनोरंजन का जरिया नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा है. प्राचीन भारतीय संस्कृति में भी खेलों को अहम स्थान मिला है. आज का दौर ऐसा है जब हम बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. खेल अब केवल शौक नहीं, एक पेशेवर करियर भी बन चुका है. अच्छे खिलाड़ियों को नौकरी, आय और नाम तीनों मिल सकते हैं.

मंडाविया ने कहा कि भारत का विकास केवल इंफ्रास्ट्रक्चर से नहीं, मानव विकास से होगा. खेलों का विकास इस विज़न का अहम हिस्सा है। लक्ष्य है कि 2047 तक भारत को दुनिया के टॉप 5 स्पोर्ट्स देशों में शामिल किया जाए. भारत को 2036 तक ओलंपिक होस्ट करने के लिए पूरी तैयारी करनी है. जो बच्चे आज 8-14 साल के हैं, वे 2036 में देश का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं.

हर जिले में एक स्पोर्ट्स स्कूल खुलेगा

उन्होंने कहा कि जून-जुलाई 2025 में ‘टैलेंट हंट’ में 30,000 से अधिक खेल अधिकारी देशभर की स्कूलों में जाएंगे. हर प्रतिभा की नेशनल यूनिक ID और रिकॉर्ड्स बनेंगे. हर जिले में एक स्पोर्ट्स स्कूल खुलेगा. प्राइवेट स्कूलों की मदद से (PPP मॉडल) प्रतिभावान बच्चों को खेल, कोचिंग, न्यूट्रिशन और पढ़ाई सब मिलेगा. खिलाड़ी चयन पूरी तरह पारदर्शी होगा. ओपन कॉम्पिटिशन, कैमरा रिकॉर्डिंग और पर्यवेक्षक मौजूद रहेंगे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों को साल में कम से कम 40 प्रतियोगिताएं खेलनी होंगी.

हर खेल के लिए एक कॉर्पोरेट पार्टनर

सरकार खुद लीग्स को शुरू करेगी अगर प्राइवेट निवेश न मिले. उद्देश्य है कि खिलाड़ियों को निरंतर खेल का मंच मिले. हर खेल के लिए एक कॉर्पोरेट पार्टनर और एक एक्सीलेंस सेंटर (जैसे करणी सिंह शूटिंग रेंज) तय किया जाएगा. पूरे देश से चुने गए प्रतिभावान खिलाड़ियों को वहां ट्रेनिंग दी जाएगी.

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