भिवानी न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला एसएचओ, एएसआई सहित छह पुलिस कर्मचारियों पर एफआईआर के आदेश
हर माह एसपी और सत्र न्यायाधीश की बैठक में हर माह रखनी होगी मामले की प्रगति रिपोर्ट पूर्व पार्षद हंसराज उफ हंसा पर हत्या प्रयास का दर्ज कराया था झूठा केस

भिवानी, (ब्यूरो): पुलिस टीम पर हमला के एक फर्जी मामले में भिवानी के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। जिसमें आरोपी हनुमान गेट निवासी पूर्व पार्षद हंसराज उर्फ हंसा को बरी करते हुए एसएचओ, दो एसआई और दो हेड कांस्टेबल को ही दोषी मानते हुए उनके खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने एसएचओ अनिल पर तीन लाख, एएसआई दशरथ पर पांच लाख रुपये, एएसआई गिरिराज पर पांच लाख, एससी सनील और एचसी सुनील पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है। न्यायालय ने अपने आदेश में सीजेएम को पूरे मामले की देखरेख करने और मानवाधिकार आयोग को भी सूचना देने के आदेश दिए हैं। इसी के साथ न्यायालय ने सत्र न्यायाधीश की एसपी के साथ हर माह बैठक में भी इस मामले की प्रगति रिपोर्ट रखने के आदेश दिए हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार की अदालत ने पुलिस टीम पर जानलेवा हमला करने के मामले में सुनवाई के दौरान आरोपी पूर्व पार्षद हंसराज उर्फ हंसा को बरी कर दिया, जबकि इस मामले से जुड़े एसएचओ अनिल कुमार, एएसआई दशरथ, एएसआई गिरिराज, एचसी सुनील पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने एसएचओ अनिल पर तीन लाख रुपये, एएसआई दशरथ पर पांच लाख, एएसआई गिरिराज पर पांच लाख, एचसी सुनील और एचसी सुनील पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है। ये जुर्माना राशि राज्य सरकार को उक्त कर्मचारियों के वेतन से काटकर पीड़ित को देनी होगी। हंसराज उर्फ हंसा के अधिवक्ता सज्जन खनगवाल ने बताया कि न्यायालय ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें पुलिस द्वारा फर्जी तौर पर पुलिस टीम पर हमला करने और षडयंत्र के तहत उन्हें फंसाया गया था। न्यायालय ने प्रस्तुत किए गए तथ्यों और गवाहों के बिनाह पर आरोपी हंसराज उर्फ हंसा को बरी कर दिया है, जबकि एसएचओ, दो एएसआई व दो कांस्टेबल के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए हैं। इस मामले में सीजेएम को केस दर्ज कराने से लेकर पूरे मामले की देखरेख के भी आदेश हुए हैं। इसी के साथ इस केस की मानवाधिकार आयोग एवं सत्र न्यायाधीश की एसपी के साथ होने वाली हर माह बैठक में भी प्रगति पर विस्तृत चर्चा करनी होगी। एडवोकेट सज्जन खनगवाल ने बताया कि होली के दिन 20 मार्च 2019 को हंसराज हंसा पर पुलिस कर्मचारियों ने गोली चलाई थी, गोली उसकी जांघ में लगी थी वहीं पुलिस कर्मचारियों ने उसे बेरहमी से पीटा और फिर उसी के खिलाफ पुलिस टीम पर जानलेवा हमला कर हत्या प्रयास का झूठा केस दर्ज करा दिया था। इस मामले में न्यायालय ने ये ऐतिहासिक फैसला दिया है, जिसमें हंसराज उर्फ हंसा को बरी कर दिया वहीं उक्त सभी छह पुलिस कर्मचारियों को झूठा केस दर्ज करने पर दोषी माना और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कुल 15 लाख रुपये जुर्माना लगाने का आदेश दिया।