जन्मदिवस दुनिया आवागमन का खेल है: संत कंवर हुजूर
संत कंवर हुजूर के जन्मदिन पर रक्तदान शिविर आयोजित, 300 यूनिट रक्त एकत्रित किया

भिवानी,(ब्यूरो): जन्मदिन की क्या खुशी मनानी जो जीवन को घटा रहा है। जीवन तो वो भला जिसमे प्रभु भक्ति का चिंतन और सुमिरन हो। जिसमें नेक काम हो। परोपकार और परमार्थ हो। अगर सदगुण है तो जीवन बेशक थोड़ा हो परन्तु अनमोल है। यह सत्संग वचन परम संत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने रोहतक रोड़ पर स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाया। हुजूर महाराज अपने 78वें जन्मदिवस पर संगत को सत्संग वचन परोस रहे थे।उलेखनीय है कि 2 मार्च को राधास्वामी सत्संग दिनोद के हुजूर कंवर साहेब महाराज का जन्मदिवस होता है। संगत इस दिन को बड़े हर्षोउल्लास से मनाती है। इस अवसर पर साध संगत ने पहले चरण में हुजूर महाराज का जन्मदिवस मनाया और दूसरे चरण में गुरु महाराज ने सत्संग फरमाया। सत्संग फरमाते हुए हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि दुनिया आवागमन का खेल है। आते हैं जाते हैं। हर रोज एक दिन कम करते जाते हैं और खुशी भी मनाते हैं। हैरानी की बात है कि दुनियादारी की और चीजो की बढ़ोतरी पर हमें खुशी मिलती है परंतु जीवन के एक एक दिन कम होने पर भी हम खुशी मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सन्तो का जन्म और मरण एक जैसा ही है। ये जन्म संतो की संगत के लिए मिला था फिर दुर्जन के संग से इसे क्यों जाया कर रहे हो। दिन प्रतिदिन हमारी सांस घंट रही है इसलिए अपने अगत की चिंता करो। उन्होंने कहा कि जीवन पल -पल शिक्षा देता है। मुझे भी मिली। कई अवसर ऐसे आये जब मैं भटक सकता था परन्तु मेरे गुरु ने मुझे कभी भटकने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मैंने कभी अपने आप को गुरु नहीं माना हमेशा शिष्य ही माना।ये अलग बात है कि गुरु बनना सहज है परंतु शिष्य तो लाखों में एक है।गुरु गोबिंद सिंह ने उपस्थित संगत से पांच शीश मांगे थे परंतु सन्नटा छा गया था। उन्होंने कहा कि शिष्य वहीं बन सकता है जो शीश अर्पण कर देता है। गुरु महाराज के अवतरण दिवस के अवसर पर आश्रम में रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया। शिविर में साधको द्वारा 300 यूनिट रक्त का दान किया गया।इस रक्त का उपयोग थैलीसीमिया व कैंसर पीडि़त रोगियों के इलाज में काम आता हैं।