हरियाणा

टीआईटी भिवानी में टेक्निकल टेक्सटाइल पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

निडरहाइन विश्वविद्यालय के साथ अनुबंध

भिवानी, (ब्यूरो): देश के  प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षण संस्थान टी आई टी भिवानी में संतुलित और पर्यावरण के अनुकूल विकास में  टेक्निकल टेक्सटाइल्स के योगदान को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में अशोक मल्होत्रा निदेशक राष्ट्रीय टेक्सटाइल मिशन , भारत सरकार ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। मल्होत्रा ने कहा कि भारत टेक्निकल टेक्सटाइल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है लेकिन इसके समग्र उत्पादन में विश्व स्तर पर शीघ्र ही भारत अपना स्थान सुनिश्चित कर लेगा क्योंकि केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र के लिए दस हजार करोड़ रूपए की एक योजना को मंजूरी दी है जिससे कि टेक्निकल टेक्सटाइल के उत्पादन और प्रमाणन की सारी व्यवस्था भारत मे ही संभव हो जाएगी और विदेशों से ना के बराबर सहायता ली जाएगी। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत टीआईटी एंड एस निदेशक प्रो. बी.के. बेहेरा ने किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में सतत विकास और टेक्निकल टेक्सटाइल्स के महत्व को समझाया और सभी उपस्थित वक्ताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम में  निडरहाइन विश्वविद्यालय के प्रो. जोस्ट सेबास्टियन गोटरट, प्रो. बास्टियन क्वाटेलबॉम, प्रो. मोनिका आइगनस्टेटर और प्रो. अलेक्जेंडर विल्हेम बूसगन ने विभिन्न तकनीकी सत्रों के अन्तर्गत व्याख्यान प्रस्तुत  किए। इन विशेषज्ञों ने टेक्निकल टेक्सटाइल्स के विकास और उसके पर्यावरणीय प्रभावों पर व्यापक जानकारी दी। उन्होंने शोध, नवाचार, और व्यावसायिक दृष्टिकोण से टेक्निकल टेक्सटाइल्स की भूमिका को स्पष्ट किया।वक्ताओं ने यह भी बताया कि टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में भविष्य में स्मार्ट और फंक्शनल टेक्सटाइल्स का उपयोग बढ़ेगा, जो विशेषकर स्वास्थ्य, सुरक्षा और ऊर्जा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहायक होंगे।चेक यूनिवर्सिटी ऑफ़ लाइफ साइंसेज से आए प्रो. राजेश मिश्रा और आईआईटी दिल्ली के प्रो. जावेद शेख  ने भी सत्रों का संचालन किया और ज्वलंत मुद्दों पर व्याख्यान दिया। संगोष्ठी के एक महत्वपूर्ण सत्र में संस्थान के निदेशक प्रो. बेहरा ने निडरहाइन विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया जिसके तहत विद्यार्थी शोध और शैक्षिक लाभ पर सहयोग कर सकेंगे। विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट किया कि टेक्निकल टेक्सटाइल्स न केवल पारंपरिक वस्त्र उद्योग के लिए, बल्कि चिकित्सा, निर्माण, रक्षा, और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस कार्यक्रम ने तकनीकी टेक्सटाइल्स के महत्व को बढ़ावा दिया और उद्योग, शोधकर्ता, और छात्रों के बीच विचार-विमर्श का एक मंच प्रदान किया, जिससे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए नए दृष्टिकोणों की पहचान हो सकी।

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