
भारत वर्ष 2025 में अपने गणतन्त्र की 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है। यह यात्रा न केवल संविधान की परिपक्वता का प्रतीक है, बल्कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की असाधारण प्रगति और संघर्ष की कहानी भी है। इन सात दशकों में हमने स्वतंत्रता, लोकतन्त्र और विकास के कई अध्याय लिखे हैं। आइए, इस ऐतिहासिक सफर पर एक नजर डालते हैं।
संविधान और लोकतन्त्र की जड़ें
26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ, तब एक नई यात्रा शुरू हुई। यह एक ऐसा दस्तावेज़ है जो समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है। भारत ने विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के रूप में अपनी पहचान बनाई।
हमने अनेक चुनाव देखे, सरकारें बनीं और बदलीं, लेकिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया हमेशा मजबूत रही। आज, हमारी संसद और न्यायपालिका संविधान के आदर्शों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
आर्थिक विकास और चुनौतियाँ
पिछले 75 वर्षों में भारत ने कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था से निकलकर एक आधुनिक, विविध और वैश्विक अर्थव्यवस्था का रूप लिया। हरित क्रांति, औद्योगिक विकास, आईटी क्रांति और स्टार्टअप्स ने भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूती से खड़ा किया।
हालाँकि, इस दौरान गरीबी, बेरोजगारी और असमानता जैसी चुनौतियाँ भी रहीं। लेकिन इनसे निपटने के लिए अनेक योजनाएँ और नीतियाँ लागू की गईं, जिनमें जनधन योजना, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रम शामिल है।
भारत की शक्ति उसकी विविधता में है। पिछले 75 वर्षों में जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्रीय विभाजन से परे एकता की भावना को बनाए रखना हमारे लिए चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन हर बार हमने इसे साबित किया।
भारतीय समाज में महिलाओं की भागीदारी, अनुसूचित जाति/जनजातियों और पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। साथ ही, कला, संगीत, सिनेमा और खेलों में भी भारतीय प्रतिभा ने विश्व में अपनी छाप छोड़ी है।
आज का भारत वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभा रहा है। जी-20 की अध्यक्षता, अंतरिक्ष विज्ञान में चंद्रयान और मंगल मिशन जैसी उपलब्धियाँ, और वैश्विक मंचों पर भारत की उपस्थिति, हमारी कूटनीति और आत्मनिर्भरता को दर्शाती हैं।
हालाँकि, यह यात्रा पूरी नहीं हुई है। आने वाले वर्षों में हमें पर्यावरण संरक्षण, समावेशी विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और सामाजिक समानता की दिशा में और प्रयास करने होंगे। भारत की युवा शक्ति और तकनीकी उन्नति हमें इस राह पर आगे बढ़ने का भरोसा देती हैं।
गणतन्त्र के 75 साल का यह सफर हमें यह सिखाता है कि चुनौतियाँ कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर हमारे पास लोकतांत्रिक मूल्यों, समानता और न्याय की भावना है, तो हम हर बाधा को पार कर सकते हैं। यह अवसर न केवल उत्सव का है, बल्कि आत्ममंथन और संकल्प का भी है, ताकि आने वाले वर्षों में भारत और भी ऊँचाइयों को छू सके।
जय हिंद!
अरुण भाटिया