तेल पाइप लाइन बिछाने के विरोध में एक बार फिर किसानों ने जताया विरोध
किसानों ने उपायुक्त को मांगपत्र सौंपकर गांव कोंट में बिछाई जा रही तेल
पाईप भिवानी, (ब्यूरो): वर्ष भर मेहनत कर देश की जनता के लिए अनाज उगा कर उनका पेट भरने वाले अन्नदाताओं को बर्बाद करने के सरकार लगातार गलत फैसले ले रही है। जिसके चलते बार-बार किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। इसी के तहत अब सरकार निजी कंपनियों के साथ सांठगांठ कर खेतों में तेल पाईप लाईन बिछाई जा रही है, जबकि इसकी एवज में किसानों को मुआवजा तक नहीं दिया जा रहा है। इसी कड़ी में जिला के गांव रूपगढ़, निमडीवाली, नंदगांव, झरवाई, ढ़ाणी जंगा, प्रहलादगढ़, कोंट, उमरावत, निनाण, नौरंगाबाद, सैय, रिवाड़ी, पूर्णपुरा आदि गांवों से यह पाईप लाईन बिछाने का कार्य भी शुरू किया जा चुका है। जिसके विरोध में गांव रूपगढ़ में 20 अक्टूबर से किसान धरनारत है। किसानों के विरोध के बाद भी निजी कंपनी के अधिकारियों द्वारा मनमाना रवैया अपनाते हुए गांव कोंट में एक बार फिर से पाईप लाईन डालने का काम किया गया। जिसके विरोध में किसान एक बार फिर उतरे तथा उपायुक्त को मांगपत्र सौंपते हुए इस कार्य को तुंरत प्रभाव से रूकवाने की मांग की। उपायुक्त को मांग पत्र सौंपने पहुंचे गांव रूपगढ़ धरना के अध्यक्ष नीरज यदुवंशी, कोंट के सरपंच हरविंद्र सिंह, रूपगढ़ के सरपंच रवि कुमार, ढाणी जंगा के सरपंच जितेंद्र राजपूत, झरवाई सरपंच राजेश सांगवान, नंदगांव सरपंच महेंद्र सिंह, निमडीवाली के सरपंच लीलाराम ठेकेदार ने बताया कि सरकार निजी कंपनी के साथ मिलकर किसानों को पूरी तरह से बर्बाद करना चाहती है। इसलिए किसानों को मुआवजा दिए बगैर ही उनके खेतों से पाईप लाईन बिछाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त गांव हाईटेंशन की तार की वजह से पहले ही परेशान है तथा पांच साल से इन गांवों के किसान इस समस्या के समाधान की मांग कर रहे है। जिसके बाद अब इन गांवों में पाईप लाईन बिछाई जा रही है। जिसके चलते सीधे तौर पर उनकी उपजाऊ जमीन पर प्रभाव पड ऱहा है तथा उनकी जमीन धीरे-धीरे बंजर होती चली जाएगी। जिसके बाद किसानों के समक्ष अपने परिवार के पालन-पोषण की समस्या खड़ी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल तो गांव कोंट में भी पाईपलाईन बिछाने के कार्य को रूकवा दिया गया है। किसानों ने स्पष्ट तौर पर चेतावनी दी कि या तो कंपनी इस कार्य को पूर्ण रूप से बंद करें या फिर किसानों को बाजार मूल्य का भाव दे, ताकि वे अपने परिवार का गुजर-बसर कर सकें।
